लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी | सपनों को पूरा करने की कला

दोस्तों आज हम आपके लिए लक्ष्य स्टोरी लेकर आए हैं। आप सभी ने लक्ष्य को निर्धारित करने के बारे में पहले जरूर सुना होगा और आप इसका महत्व भी बहुत अच्छे से जानते होंगे। लक्ष्य निर्धारण करने से हमें एक निश्चित दिशा और निरंतर कार्य करने का हौसला मिल जाता है। लक्ष्य निर्धारण से हमारे मन का भटकाव खत्म हो जाता है और हमें कार्य करने का उद्देश्य मिल जाता है।लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी में आप पड़ेगे कि कैसे लोगों ने लक्ष्य निर्धारण करके असंभव कार्य को संभव किया। 

लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी
लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी – lakshya story in hindi

लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी – जो चाहोगे वही पाओगे

बहुत पुरानी बात है , एक गांव से नदी गुजरा करती थी जिसके किनारे एक साधु बैठा रहता था और जोर जोर से चिल्लाता रहता था जो चाहोगे वही पाओगे , जो चाहोगे वही पाओगे ,

 साधु को गांव के सभी लोग पागल कुछ लोग मूर्ख और ना जाने क्या क्या समझते थे। साधु हमेशा यही चिल्लाता रहता था और भगवान की भक्ति करता रहता थ। बहुत दिन बीत गए एक दिन एक बेरोजगार लड़का वहां से गुजरा उसने साधु की यह बात सुनी और दौड़ा-दौड़ा उनके पास पहुंच गया। 

उस लड़के ने साधु से कहा क्या मैं जो चाहूंगा वही पाऊंगा ?

 साधु ने मुस्कुराते हुए कहा हां बेटा जो तुम चाहोगे वही तुम पाओगे। 

लड़के ने फिर एक बार कहा क्या आप सच कह रहे हैं ? क्या सच में जो मैं चाहुँगा वहीं में पाऊंगा। 

  साधु ने कहा – हां जो तुम चाहोगे वही तुम पाओगे। 

लड़के ने कहा क्या मैं सोने चांदी का बहुत बड़ा व्यापारी बन जाऊंगा। 

 साधु ने कहा हां बेटे तुम अवश्य बनाओगे आज मैं तुम्हें कुछ सोने और चांदी की वस्तुएं दूंगा जिसको तुमने ले जाना और देखना तुम एक बहुत बड़े सोने चांदी के व्यापारी बन जाओगे। 

लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी
लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी – lakshya story in hindi

 लड़के ने अपनी दोनों आंखें बंद की और साधु की ओर हाथ बढ़ा दिए। साधु ने एक हाथ लड़के का पकड़ा और कहा यह लो बेटा यह सोना है इसे समय कहते है। तुम कभी भी इसको हाथ से मत जाने देना, इसका एक-एक पल अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उपयोग करना। तुम एक दिन जरूर बहुत बड़े व्यापारी बन जाओगे। 

 लड़के ने कहा और बाबा चांदी ?

 साधु ने लड़के के दूसरे हाथ को पकड़ कर कहा यह लो यह चांदी है। इसे धैर्य  कहते है। अगर बहुत मेहनत और वक्त का सही उपयोग करके भी लक्ष्य प्राप्त ना हो तब तक तुम धैर्य रखना और देखना तुम धैर्य में कितनी ताकत है। अगर तुम यह सोना-चांदी हमेशा अपने पास रखोगे तो दुनिया की कोई ताकत तुम्हें बड़ा व्यापारी बनने से नहीं रोक पाएगी। 

उस लड़के ने साधु की बात को अपने मस्तिष्क में बहुत अच्छे से बैठा लिया और कभी भी अपने वक्त का ना दुरुपयोग किया ना कभी उसको हाथ से जाने दिया। वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर ही प्रयास करता रहा और जब वह हार जाता तो वह धैर्य का सहारा लेता और फिर दोबारा कोशिश करता। 

देखते ही देखते बहुत कम समय में उस लड़के के अंदर व्यापार करने के वह गुण आ गए जो अभी तक किसी में नहीं थे। उसने बहुत छोटे से काम से शुरुआत की और अपने व्यापार को बड़े स्तर पर ले गया। आज के समय में वह सबसे बड़ा व्यापारी जो उसने उस दिन साधु से मांगा था बन गया। 

 उसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक संघर्ष किए ,अनेक चीजें सीखी और ना अपने समय का दुरुपयोग किया ना कभी अपना धैर्य खोया और उसने वही पाया जो वह चाहता था। 

शिक्षा –  समय और धैर्य  वह ताकत है जिसका उपयोग करके हर व्यक्ति अपने  मन मुताबिक लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। निरंतर आगे बढ़ते रहना और कभी अपने लक्ष्य से विमुख न होने से ही हमें लक्ष्य प्राप्त होता है। 

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लक्ष्य स्टोरी – मेहनत का फल

बहुत समय पुरानी बात है जब भारतवर्ष में गुरुकुल  प्रथा चल रही थी और लड़के ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरुकुल में रहा करते थे। एक गुरुकुल में बहुत मंदबुद्धि बालक था जिसका नाम  देवव्रत था। गुरुकुल के अध्यापक ने अपनी सारी कोशिशें कर ली फिर भी देवव्रत वह कुछ न सीखा पाए। उन्होंने उसके लिए अलग से पढ़ाना चालू किया , देर रात तक उसको अध्ययन करवाते पर वह सुबह तक सब भूल जाता। 

ऐसा करते-करते बहुत समय बीत गया। गुरुकुल के हर अध्यापक ने देवव्रत को अपने ज्ञान के अनुसार शिक्षा प्रदान करने के अलग अलग तरीकों का उपयोग किया ,पर वह सब असमर्थ रहे।

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अब किसी अध्यापक के पास कोई चारा नहीं था और उन्होंने देवव्रत से यह कह दिया कि अब तुम अपना समय खराब मत करो और जाकर अपने पिता के कार्यों में उनका हाथ बटाओ। 

 इस घटना से देवव्रत को बहुत  निराशा हुई और वह घर के लिए लौट गया।  रास्ते में जब वह घर जा रहा था तो उसको बहुत तेज प्यास लगी। उसने पानी के लिए एक कुएं को खोज निकाला और जब वह उसके पास पानी पीने गया तो उसने देखा कि पानी के पास पड़े एक पत्थर में रस्सी का बहुत बड़ा निशान बन गया है और पत्थर लगभग कट गया है। 

 देवव्रत ने वहां पानी भर रही महिलाओं से पूछा आखिर यह पत्थर कैसे कटा ?

 उनमें से एक महिला ने बताया कि यह पत्थर रस्सी के बार बार घिसने से कट गया था। 

 देवव्रत के मन में विचार आया जब एक नाजुक सी रस्सी से बार-बार पत्थर पर  घिसने से वह कट सकता है तो फिर मैं विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता ? 

देवव्रत वापस गुरुकुल चला जाता है और विद्या ग्रहण करने के लिए हर संभव कोशिश करता है और धीरे-धीरे वह नई-नई चीजें सीखने लगता है। 

 वह अपने लक्ष्य को मन में उतारकर रात दिन निरंतर मेहनत करता है और  धीरे-धीरे वह विद्या में निपुण हो जाता है और अन्य विद्यार्थियों से भी परांगत हो जाता है। 

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की अगर हम निश्चित कर ले तो हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। हम जब निरंतर अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत करते है तो असम्भव लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेते है। 

 

लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी
लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी – lakshya story in hindi

दोस्तों आप को लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद

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