7 Best Hindi Poems ! Best Poems in Hindi 2023

7 Best Hindi Poems – बूढ़ी मां

अरसे बाद गुजरा पुरानी सड़क से,
नजरें घूमी तो देखा वहां से हाईवे निकल रहा है।
कुछ दिन पूर्व न्यूज़ पेपर में भी आया था,
बड़े साहब को निकलने में होती है ,
हैरानी छोटे रूटों से और ट्रैफिक के बीच
इसीलिए बन रहा है हाईवे, पेड़ काट दिए गए हैं।
कच्ची मुरम बिछा दी गई है, और दोनों किनारों की तरफ 
जो छोटी-छोटी झोपड़ियां थी उनको गिरा दिया गया है।
अचानक याद आया यहां तो एक बूढ़ी अम्मा की दुकान थी ।
जो बचपन में खिलाया करती थी हमें बेर,मूंगफली, कैथा की चटनी,
 कैंडी, एक रुपए के आठ बिस्किट, चूर्ण, गरी, मगज के लड्डू, और ढेर सारा प्यार,
पूछने पर पता चला कि बड़े साहब के यहां से लेटर आया था ।
मुआवजा देकर अम्मा को यहां से भगा दिया गया है,
सिर्फ एक अम्मा ही नहीं बल्कि यहां पर दुकान चलाने वाले,ठेले वाले,
सब्जी की दुकान लगाने वाले,मोची, दूध की दुकान,
और भी ना जाने कितने लोगों को  ,मुआवजा देकर भगा दिया गया है।
सामने से एक बुलडोजर चला आ रहा है,
मैंने पूछा तो एक भाई ने बताया ,आगे की गली भी आज गिराई जानी है,
हाईवे का काम इसी महीने पूरा करना है।

7 Best Hindi Poems – अहंकार

इतना ही अहंकार है तुम्हें खुद पर
तो बुद्ध से क्यों नहीं टकरा जाते ।
फिर देखते हैं ,न पिघले तो तुम जीते
 क्यों नहीं मिलते कृष्ण से ,गीता के ज्ञान से ।
न सीखे तो ,और तुम्हारा अहंकार विजयी हुआ,
नाशवान और नश्वर शरीर पर ,इतना अहंकार,
क्यों करते हो खुद की जय जयकार,
आकाश गंगा के अनंत तारों में
खुद को ढूढने का प्रयास करो,
हम क्यों हैं किसलिए हैं
जानने का अभ्यास करो ।
वो है था और रहेगा
उसने सबको बनाया ,सबको सजाया ,
उससे आगे क्यों जाते हो ?
क्यों अपने आपको ऊंचा दिखाते हो?
दो पांव से चल भी नहीं पाते,
दो गज जमीन नाप नहीं पाते।
चले हो सूरज को समझाने,
अपने हाथों से खुद को मिटाने।
समस्त संसार का जितना ज्ञान है
सब उसी की पहचान है ।
तुम कितना जानते हो,
कितना तुम्हें ज्ञान है ।
विज्ञान से ज्यादा उड़ सकते हो,
समंदर से जाकर लड़ सकते हो,
टूट जाओगे मिट जाओगे ।
मर जाओगे ,अहंकार को छोड़ कर,
पहले से वट वृक्ष बन जाओ।
अपनी छांव से बुद्ध को पास बुलाओ,
देखना तपती धूप में जो यात्री,
तुम्हारी शरण में आएगा ।
वही बुद्ध होगा ,वही कृष्ण होगा
वही राम होगा ,वही इंसान होगा ।

7 Best Hindi Poems – बचपन

जिंदगी की उधेड़बुन में
बचपन दोबारा लौट तो क्या बात है,
न कोना ढूढना पड़ेगा रोने के लिए
बस हल्की सी बात चाहिए हंसने के लिए,
मेरे साथ लड़ने वाले वो दोस्त मिल जाए,
तो क्या बात है,
जब मम्मी खाने के डिब्बे को
देखा करती थी,
पूरा खाया या नहीं,
कहती थी खेल कर आया
और नहाया नहीं,
पापा आ जाएंगे तो क्या बोलेंगे
आज तक मां ने कभी बताया नहीं
बस एक पल के लिए
मां की वो डांट मिल जाए तो क्या बात है,
रिश्तेदारों के आने का इंजतार रहता था,
उनके चंद रुपए देने में सारा प्यार रहता था,
आज कमी नहीं किसी चीज़ की
बस उनका वो प्यार मिल जाए तो क्या बात है,
दादा दादी की कहानियां सुनते गोद में सो जाते,
पापा के डर से पढ़ने लग जाते
आज बिस्तर पर नींद नहीं
उनकी वो गोद मिल जाए तो क्या बात है,
खाना पसंद का मां बनाती थी,
पहले मुझे फिर पापा को खिलाती थी,
घर छोटा पर पर खुशियों से भरा,
लोरी सुनाकर मां खुद ज़मीन पर लेट जाती थी,
आज डांटने वाला कोई भी
मां की वो पीटने वाली लाठी मिल जाए तो क्या बात है,
वो बचपन मिल जाए तो क्या बात है,
एक लम्हा जीने को मिल जाए तो क्या बात है ।

7 Best Hindi Poems – खुद में समंदर
एक समंदर मुझमें भी है,
खुद को मजबूत कर लायक बनाओ,
ख़ुद करो वो जुनूं पैदा,
अपने अंदर एक समंदर बनाओ,
हमेशा नदियों को समेट लो ख़ुद में,
और सबको धैर्यता सिखाओ,
ज्ञान,विज्ञान से परे जाओ,
कुछ खुद सीखो,
कुछ सबको सिखाओ,
तुम अब समंदर हो,
न डरो इन तूफ़ानों से,
ये तो आते ही रहेंगे,
पर खुद से ज्वारभाटा उठाओ,
फैला लो अपने आप को धरती से ज्यादा,
अपनी एक दुनिया बसाओ,
बस मुझे देखो किनारे से,
मुझसे लड़ने न आओ,
खुद में रहस्यों का एक भरो भंडार,
जो खोजें दूसरे भी,
खाने भी दो कुछ सबको,
पर अपने लिए ज्यादा बचाओ,
तुम विशाल बनो,
हर स्वाद को रखो अपने पास,
जो जैसा चाहे उसको वैसा चखाओ,
तुम किनारे पर ही बुलाओ,
जो मुझसे चाहे मुझमें समाओ,
मैं हूं समंदर खुद नहीं आऊंगा,
जो मुझे अपनाए वो मुझमें मिल जाओ ।
महान बनो ख़ुद और समंदर बन जाओ ।

Best Hindi Poems – भविष्य में भविष्य

खड़ा है इमारतों का जत्था,
लगी है होड़ सबसे ऊपर जाने की,
न जाने कितना ऊपर,
इंसान ने अपनी महत्वाकांक्षाओं को कितना ऊपर पहुंचा दिया है,
सबसे ऊपर की मंज़िल से केवल दिखाई देता है धुआं,
जहां इंसान नहीं मिलते,
लांघ गया है अपनी सीमाओं को, कर रहा कोशिश अनंत तक जाने की,
फड़फड़ा रहा है ऊपर उठने के लिए,
समुद्र की गहराई भी बहुत छोटी पड़ चुकी है जिसे,
खोल रहा है परत दर परत,
इस दुनिया के राज़,
आगे देखने की लालसा,
भविष्य को जानने की लालसा में अतीत छूट गया है पीछे,
जो हमारा है,
जो हमारी ताकत है,
उसे हमने छोड़ दिया है पीछे,
भविष्य को जानने की लालसा में,
भविष्य भी तो एक दिन भूत बनेगा,
तब क्या हम इसे छोड़ देंगे,
हमने अपने आप को नष्ट कर लिया है,
केवल भविष्य के लिए,
भविष्य के बारे में बिना सोचे,
जबकि,
वर्तमान भी गुज़र रहा है कैसा,
अकल्पनीय है वर्तमान परिवेश में,
भविष्य की खोज,
यदि यही खोज रही जारी तब,
निश्चित रूप से होगा प्रकृति का विनाश,
या भविष्य का विनाश,
तब हम तो जीत जाएंगे,
पर हार जाएगी प्रकृति

Best Hindi Poems – निर्देशक महोदय

कुछ दिनों तक अपने सारे जीवन का सार,
अनुभूतियां,
सब कुछ अर्पण करने के बाद आज परीक्षा है,
पैरों में कपकपी है,
नाखून उलझे हुए हैं एक दूसरे में,
हृदय की गति लगातार अपने चरम पर जाने की कोशिश कर रही है,
आखिरी समय में लगातार अपने माध्यम से ज्ञान उड़ेलने की कोशिश की जा रही है,
रातों रात सोया नहीं है इसलिए आंखे थक चुकी है,
फिर भी बुझते हुए दिए की तरह चमक रही हैं,
किन्तु इन आंखों ने सोते हुए भी सपने देखे हैं केवल सफलता के,
लगातार मन में नए नए विचारों को जाग्रत करने की कोशिश की जा रही है,
बस दिमाग दौड़ रहा है,
लगातार दर्शकों की तरफ,
बार बार मन में संख्या का आकलन किया जा रहा है,
और लगाया जा रहा है अनुमान दूसरे नाटकों के दर्शकों से,
आज शायद तालियां ज्यादा मिलें तो दूसरा नाटक जल्दी ही करेंगे,
और इससे बड़ा करेंगे,
दर्शक आने लगे हैं,
हृदय गति अपनी पराकाष्ठा पर है,
सभी ने सब कुछ कर लिया,
बस इतना कहते ही
प्यास लग आती है,
दूसरी घंटी बजने ही वाली है,
कहां रहूं
क्या करूं,
कुछ समझ नहीं आ रहा है,
मैं कोशिश करूंगा सब में ऊर्जा भरने की,
पीछे रहूं या आगे रहूं,
दिमाग ने चलना बन्द कर दिया है,
और ये नाटक को तीसरी घंटी,
निर्देशक महोदय असहाय व्यक्ति की तरह,
चुपचाप कोना पकड़ लेते हैं,
यही उस समय दुनिया का सबसे दीन हीन व्यक्ति होता है,
जो बहुत दिन ज्ञान देने के बाद भी इस क्षण खाली है,
वो है निर्देशक
जो खुद जलता रहा,
परन्तु आज बुझे हुए दीपक की तरह इस पल केवल जली हुई बाती बन गया है,
जो केवल धुआं दे सकती है,
जिसकी आवाज़ बैठ चुकी है,
गला सूख चुका है,
पसीना लगातार बह रहा है,
आंखे एक जगह स्थिर हैं,
महानतम शब्दों में से एक शब्द
निर्देशक ।

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