भगवान बुद्ध का जन्म एक हिंदू राजा के यहां हुआ सत्य की खोज में भगवान बुद्ध ने अपना घर अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़कर सन्यास धारण किया बुद्ध ने अपना मार्ग स्वयं खोजा और संसार को अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। आज के समय में बौद्ध धर्म कई देशों में फैला हुआ है।
बुद्ध का जन्म – गौतम बुद्ध का जीवन परिचय
गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के यहाँ 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ। बुध के जन्म के 7 दिन बाद उनकी माता का निधन हो गया. बौद्ध का पालन पोषण महारानी महा प्रजापति ने किया जो कि बुद्ध की मां की सगी छोटी बहन थी।
बुद्ध की मां का नाम महामाया था। गौतम बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा और पुत्र का नाम राहुल था जब राहुल 1 वर्ष का था तब बुद्ध ने संन्यास लिया।
बचपन की भविष्यवाणी
भगवान बुद्ध के जन्म के बाद कुछ ब्राह्मणों ने यह भविष्यवाणी की या तो बुद्ध एक महान राजा बनेंगे या एक महान सन्यासी। अंत में यह भविष्यवाणी सत्य हुई भगवान बुद्ध एक महान सन्यासी बने।
शिक्षा – गौतम बुद्ध का जीवन परिचय
गौतम गौतम बुद्ध को बचपन से ही धर्म और ज्ञान में अधिक रुचि थी बचपन में ही उन्हें सारे वेद पुराण कंठस्थ याद थे। इसके अलावा तीर कमान, रथ हांकने ,कुश्ती तलवार और विभिन्न प्रकार के हथियार चलाने में भी गौतम बुद्ध को महारत हासिल थी।
गौतम बुद्ध के बाल्यकाल के गुरु कौडिन्य थे। संन्यास लेने के बाद बुद्ध गुरु आलार कालाम के आश्रम पहुंचे यहां पर उन्होंने योग ,ध्यान लगाना और बहुत कुछ सीखा। उसके बाद गौतम बुद्ध उद्दक रामपुत्र राम के यहां पहुंचे यहां पर शिक्षा लेने के बाद आगे का मार्ग भगवान बुद्ध ने स्वयं तय किया। बुद्ध ने सत्य का मार्ग खोजा और कई लोगों के दुख दूर किए। गौतम बुद्ध का जीवन परिचय
हृदय परिवर्तन
बचपन की भविष्यवाणी सुनकर महाराज शुद्धोधन ने हर संभव कोशिश की गौतम बुद्ध को संन्यास से रोकने के लिए। शुद्धोधन ने गौतम बुद्ध के महल के आजू-बाजू भोग विलास के सारे साधन जुटाए। तीन ऋतु के हिसाब से अलग-अलग महल बनवाएं।गौतम बुद्ध का जीवन परिचय
जिसमें मदिरा नाचने वाली कणिकाएं और भोग विलास का हर साधन मुहैया करवाया पर गौतम बुद्ध को बचपन से ही इन सब में कोई रुचि नहीं थी . बचपन से ही गौतम बुद्ध में करुणा का अपार भंडार था लोगों के दुख दर्द से जब बुद्ध का सामना हुआ तब आधी रात को वह अपनी पत्नी, राहुल और राजपाट को छोड़कर सन्यास के लिए चले गए।
गौतम बुद्ध के उपदेश
गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म में लोगों को मध्य के मार्ग का अनुसरण करने को कहा है , न किसी बात की अधिकता न किसी बात कमी। मध्य के मार्ग को सर्वोत्तम बताया है। भगवान बुद्ध ने दुःख के कारण और उसके निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग का ज्ञान लोगों को दिया।
इसके अलावा ध्यान , मध्यमार्ग , चार आर्य सत्य और अष्टांग मार्ग पर बुद्ध ने विशेष जोर दिया।
भगवान बुद्ध का प्रभाव
भगवान बुद्ध के समय में एक खूंखार डाकू जिसने कई लोगों को मारकर उनकी उंगली काट ली थी। जिसका नाम अंगुलिमाल था। भगवान बुद्ध ने अपनी बातों के प्रभाव से उसका हृदय परिवर्तन करके उसको अपना भिक्षु बना लिया था।
भगवान बुद्ध जहां जहां जाते वहां वहां उनके हजारों अनुयाई बन जाते, कई बड़े घरों के लड़के, राजाओं के लड़के, सैनिक, कई राजा ,व्यापारी के अलावा कुछ ऋषि मुनि भी अपने शिष्यों के साथ बौद्ध भिक्षु बन गए। भगवान बुद्ध लोगों के दुख का निवारण इतनी आसानी से करते थे कि लोग उनके अनुयाई बन जाते थे। वैशाली नगर की नगरवधू जिसका पूरा जीवन केवल भोग विलास में गुजरा वह भी भगवान बुद्ध के प्रभाव से अंत में एक सन्यासी बन गई।
गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था ?
गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के यहाँ 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ।
गौतम बुद्ध का जन्म कहां हुआ था ?
गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के यहाँ 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ जो की नेपाल में है।
दोस्तों इस पोस्ट मैं गौतम बुद्ध का जीवन परिचय कुछ किताबों से लिया गया है अगर आप इस पोस्ट मैं कुछ बदलाव करना चाहते है तो हमें कमेंट करके बता सकते है। आप को हमारी यह पोस्ट कैसी लगी हमें जरूर बताए।
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