शिक्षक वह होता है जो विद्यार्थियों को शिक्षा देता है ,पर एक शिक्षक केवल विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान नहीं देता बल्कि उसका संपूर्ण विकास करता है। चाहे वह मौलिक विकास हो या फिर चरित्र निर्माण हो। अपने छात्र की कमियों और उसके हुनर तथा क्षमताओं को परखना एक शिक्षक का कर्तव्य होता है।
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एक शिक्षक विद्यार्थी की क्षमताओं के अनुसार उसका विकास करता है और जीवन में बड़े से बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। यह शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी हैं। बहुत बार आपने विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक कहानी पढ़ी होंगी पर यह कहानी शिक्षकों के लिए है।
शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी – दस गुना कम पैसों में पढ़ाना किया स्वीकार
एक बार की बात है राजेश नाम का लड़का एक छोटे शहर से बड़े शहर में पढ़ाई करने के लिए गया। उसने मेहनत करके अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और जल्दी उसको नौकरी लग गई। उसकी पोस्ट और कमाई बहुत अच्छी थी पर उसका कंपनी के काम में मन नहीं लगता था।
बचपन से ही राजेश को दूसरे बच्चों को पढ़ाने में बहुत आनंद प्राप्त होता था वह पढ़ने वाले बच्चों की क्षमताएं जल्दी पहचान लेता था और उसी के हिसाब से उनको पढ़ाता था।
कुछ दिन नौकरी करने के बाद राजेश ने यह तय किया कि अब नौकरी छोड़कर पढ़ाना प्रारंभ करेगा। उसके इस फैसले से घरवालों का मन टूट गया और उन्होंने उसको बहुत समझाने की कोशिश की पर घरवालों के विरोध के बाद भी राजेश को यह समझ में आ गया था कि उसको शांति केवल पढ़ाने से ही मिलेगी।
बहुत जद्दोजहद के बाद राजेश को एक स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गई पर उसका अवधा बहुत छोटा था और उसकी सैलरी पिछली नौकरी से 10 गुना कम थी , राजेश को स्कूल में पढ़ाने का ज्यादा अनुभव नहीं था इसलिए शुरू शुरू में उसकी क्लास में बहुत हंसी उड़ाई गई और स्कूल के शिक्षक उसकी बात को नजरअंदाज करने लगे।
राजेश अच्छे शिक्षक कैसे बनते हैं इसकी खोज करने लग गया। वह बच्चों से पूछता, पुराने शिक्षकों से पूछता ,यहां तक कि अपने दोस्तों से और जितने लोगों को वह जानता था उन सब से शिक्षकों के गुणों के बारे में पूछता और सीखता। पुरानी किताबों से , इंटरनेट पर और हर जगह वह अच्छे शिक्षक बनने के तरीके खोजता और उन्हें अपनाने की कोशिश करता हूं। बहुत कम समय में राजेश अच्छे शिक्षक बनने के सारे तरीके जान गया और उनको अपना कर एक अच्छा शिक्षक बन गया।
राजेश ने अपनी कक्षा के सबसे कमजोर बच्चों की एक लिस्ट बनाई और सबसे ज्यादा उन पर ध्यान देने लगा। इस बात से नाराज होकर जो लड़के पढ़ने में आगे थे उन्होंने राजेश की शिकायत प्रिंसिपल से की। प्रिंसिपल ने जल्दी ही सभी टीचरों की मीटिंग बुलाई और राजेश को इस बात के लिए डाटा पर राजेश का मानना यह था कि जो बच्चे कमजोर है उन पर ज़्यदा मेहनत की जानी चाहिए तभी वह कंपटीशन में आएंगे।
राजेश की ऐसी बातें सुनकर सारे स्कूल के शिक्षक उस पर हंसने लगे ,राजेश को यह बात बहुत बुरी लगी और उसने सभी टीचर से कहा आप मुझे सबसे कमजोर बच्चे दीजिए और मैं उन बच्चों को बहुत अच्छे नंबर से पास करवा लूंगा।
राजेश की यह बात सुनकर प्रिंसिपल ने राजेश को सबसे कमजोर 10 बच्चों की लिस्ट दी और कहा अगर जैसा तुमने कहा है वैसा करते हो तो मैं तुम्हें पूरी क्लास की जिम्मेदारी दूंगा और पुराने शिक्षकों के बराबर तुम्हारी तनखा कर दूंगा।
यह चैलेंज लेकर राजेश बहुत खुश था पर वह यह भूल गया था कि यह बच्चे स्कूल में सबसे ज्यादा कमजोर है। राजेश ने अपने 1 महीने तो उन बच्चों को सिर्फ यह विश्वास दिलाने में गुजार दिया कि वह भी पढ़कर अच्छे नंबर ला सकते हैं और जिन बच्चों के नंबर अच्छे आते हैं वह कोई असाधारण नहीं होते तुम लोगों जैसे ही हैं बस वह समय पढ़ लेते हैं।
राजेश ने उन बच्चों पर बहुत मेहनत की और दिन-रात उनको पढ़ाने में लगा रहता। बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग-अलग तरीके निकालता जिससे उनको कठिन से कठिन विषय भी आसानी से याद रहता। राजेश कि यह मेहनत बच्चों असर कर रही थी और उनका मनोबल बढ़ रहा था। अपने बच्चों में आए इस परिवर्तन को देखकर उनके माता-पिता भी अधिक ख़ुश थे । जो बच्चे अब तक बहुत कम नंबर से पास हो रहे थे या फेल हो जाते थे वह भी अब घर में बहुत देर तक मेहनत करते थे क्योंकि उनको राजेश बहुत अच्छे से समझा रहा था।
राजेश की कम सैलरी से उसके घर वाले बहुत दुखी थे पर राजेश को पढ़ाने में लगन देखकर उसके माता-पिता को भी यह संतोष हो गया था कि यह बहुत जल्दी एक बड़ा शिक्षक बन जाएगा।
देखते ही देखते परीक्षा पास आ गई और राजेश ने जिन बच्चों का जिम्मा लिया था वह बहुत अच्छे नंबर से ही पास नहीं हुए बल्कि उनमें से 3 लड़कों ने पूरे स्कूल में टॉप कर लिया था।
राजेश के इस काम से हर कोई स्कूल में प्रभावित था पर प्रिंसिपल को इस बात से बहुत दुख हुआ क्योंकि उसकी लड़की जो हर बार टॉप करती थी इस बार तीसरा आई थी और वह लड़के जिनको राजेश ने पढ़ाया था वह प्रथम आए थे। गुस्से में आकर प्रिंसिपल ने राजेश को स्कूल से बाहर निकाल दिया।
प्रिंस के इस कार्य से स्कूल के सारे शिक्षकों को बहुत बुरा लग रहा था। आज स्कूल ठगा महसूस कर रहा था पर बात बस इतनी सी थी कि प्रिंसिपल की लड़की का स्थान तीसरा आया जबकि उसमे राजेश की कोई गलती नहीं थी।
राजेश इस बात से बहुत दुखी हुआ पर उसने हिम्मत नहीं हारी उसने दूसरे स्कूल में नौकरी तलाशी और कुछ ही समय में राजेश पूरे शहर में पढ़ाने के लिए प्रख्यात हो गया और उसके बहुत सारे विद्यार्थियों ने सफलता प्राप्त की।
निष्कर्ष – शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी जिसमें बताया गया है कि एक नया शिक्षक मेहनत करके कमजोर से कमजोर बच्चों को कैसे आगे कर देता है। एक सफल शिक्षक वही है जो कमजोर से कमजोर बच्चे को भी कठिन से कठिन विषय को आसानी से समझा पाए। शिक्षक को हमेशा सभी विद्यार्थियों को एक समान देखना चाहिए और उनके हुनर को पहचान कर एक नई दिशा देनी चाहिए।
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