दोस्तों आज हम आपके लिए रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी लेकर आए हैं। इन कहानियों में आप पढेंगे साधारण से परिवार में जन्म लेकर भी अपनी मेहनत और संघर्ष से कैसे लोग बड़े हो गए। यह कहानी सच पर आधारित हैं और इन कहानियों में लिए गए फैक्ट सार्वजनिक है।अगर आपको इन कहानियों से कोई आपत्ति है तो आप हमें मेल करके बता सकते हैं।
रियल लाइफ स्टोरी – कपिल शर्मा
कपिल शर्मा को आज कौन नहीं जानता है पर आज हम उनकी कहानी आप तक पहुंचाएंगे। कपिल शर्मा का जन्म पंजाब के अमृतसर में 2 अप्रैल 1981 में हुआ था। कपिल के पिता पंजाब पुलिस में कांस्टेबल थे।
कपिल को बचपन से ही कॉमेडी में बहुत रुचि थी। कॉमेडी के साथ वह गाना भी गाया करते थे। स्कूल के फंक्शन में वह अक्सर एक्ट किया करते थे। बहुत छोटी उम्र में उनके पिता की मृत्यु कैंसर में हो गई थी।
पिता की मृत्यु होने के बाद घर की जिम्मेदारी भी कपिल पर आ गई। कपिल ने बहुत मेहनत की और अपनी कॉमेडी और गाने का शौक नहीं छोड़ा।
अपनी कॉमेडी की दम पर 2007 में द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज की ऑडिशन में उनको रिजेक्ट कर दिया और अगले साल इसी शो में उनका सिलेक्शन हो गया। उस टाइम कपिल का सिलेक्शन पंजाब के इंडियन आइडल में भी हुआ था पर कपिल ने अपनी सूझबूझ से इंडियन आइडल को छोड़कर कॉमेडी करना उचित समझा।
ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के विनर बनकर कपिल ने अपना लोहा दुनिया से मनवा लिया था लेकिन अभी भी उनके पास वह सक्सेज नहीं की जिसकी उनको तलाश थी। इसके बाद उन्होंने निरंतर कॉमेडी सर्कस में काम किया और कई अवार्ड भी जीते। इसके बाद उनकी किस्मत कॉमेडी नाइट विद कपिल शर्मा के शो से चमक गई।
इस शो के प्रारंभ होते ही कपिल की पॉपुलैरिटी बहुत ज्यादा बढ़ गई। उनका रुतबा कई बड़े स्टारों से भी बड़ा हो गया। उन्होंने कॉमेडी में अपने शो से चार चांद लगा दिए। कपिल शर्मा के शो की टीआरपी सबसे ज्यादा जाने लगी और वह टीवी के सबसे ज्यादा कमाने वाले कलाकार में से एक बन गए।
दोस्तों यह कहानी है कपिल शर्मा की जो पंजाब के अमृतसर से बॉलीवुड में बिना कनेक्शन के आए और आज बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। आज बहुत से उनके दोस्त हैं जो उनकी पहचान से बॉलीवुड में काम कर रहे हैं। निरंतर मेहनत और सभी का सहयोग करके कपिल आज यहां तक पहुंचे। उनके जीवन में बहुत से विवाद भी रहे पर वह हर उभरे और एक सक्सेसफुल व्यक्ति बन गए।
एमबीए चाय वाले – रियल लाइफ स्टोरी
एमबीए चाय वाले को आज कौन नहीं जानता बहुत सारे लोग हैं जो एमबीए चायवाला के बहुत बड़े फैन है। एक चाय की दुकान से कैसे एक युवा लड़का करोड़पति बन गया आइए आज हम आपको बताते हैं एक चाय वाले की कहानी।
एमबीए चाय वाले का नाम प्रफुल्ल बिल्लोरे है। प्रफुल्ल बिल्लोरे का जन्म 14 जनवरी 1996 में इंदौर मध्य प्रदेश में हुआ था। उसके पिता एक साधारण कृषक है। प्रफुल्ल को आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए करना था पर अच्छे नंबर ना आने की वजह से उसका एडमिशन आईआईएम अहमदाबाद में नहीं हो पाया। प्रफुल्ल ने हार नहीं मानी और आईआईएम अहमदाबाद के बाहर एक चाय का ठेला लगाने लगा।
अपनी चाय के ठेले पर उसने एमबीए चायवाला लिखवाया और चाय बनाना चालू कर दी ,पहले लोगों ने उसका बहुत मजाक बनाया फिर लोग उसके चाय के दीवाने होते गए और उसका नाम बढ़ता ही चला गया।
उसने चाय की दुकान से बिजनेस के तरीके और बिजनेस को कैसे बढ़ाया जाता है सीखा । धीरे-धीरे करके उसने चाय की फ्रेंचाइजी बांटना चालू कर दिया और दो-तीन साल में वह बहुत फेमस हो गया।
लोगों को उसकी चाय का स्वाद पसंद आने लगा और उसकी फ्रेंचाइजी बिकने लगी।
सच में यह कहानी इतनी भी साधारण नहीं है जितनी यहां पर दिख रही है। प्रफुल्ल ने वह कर दिखाया जो कई हजार लड़कों में सिर्फ एक कर पाता है। 10000 की मामूली से निवेश करके उसने हजारों करोड़ की अपनी कंपनी बना डाली। आज उसका नाम एक सक्सेसफुल युवा बिजनेसमैन की तरह पूरे भारत में लिया जाता है।
प्रफुल्ल ने चाय की दुकान से वह सीखा जो बड़ी-बड़ी कंपनियां भी नहीं सिखा सकती। उसने आज लाखों युवाओं को बिजनेस करने की राह दिखाई है।
दोस्तों प्रफुल्ल ने हमको यह सिखाया है कि अगर आप सब की मेहनत और लगन से काम करते हैं और आगे बढ़ने का हुनर रखते हैं तो आप एक चाय की दुकान से अरबपति बन सकते हैं। यह एक ऐसा उदाहरण है जिसमें बहुत सारे होनहार गरीब बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।
दशरथ मांझी की कहानी – रियल लाइफ स्टोरी
दोस्तों यह कहानी है कि दशरथ मांझी की , जिसने वह कर दिखाया है जो कई गवर्नमेंट भी नहीं कर पाती। दशरथ मांझी बिहार के एक छोटे से गांव में रहते थे। उनके गांव में आने जाने का कोई सीधा रास्ता नहीं था। गांव के सभी लोगों को एक पहाड़ का पूरा चक्कर लगाकर निकलना पड़ता था।
रोज की तरह दशरथ मांझी काम कर रहे थे और उनकी पत्नी फगुनिया उनको खाना लेकर जा रही थी ,दुर्भाग्यवश उनका पैर फिसल गया और उनकी मृत्यु हो गई।
अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद दशरथ मांझी ने निर्णय किया कि वह इस पहाड़ को खोदकर फेंक देंगे और वह इस असंभव कार्य में अकेले ही लग गए।
अपनी पत्नी से अपार प्रेम के चलते वह यह साहस कर पाए ,उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया और दिन-रात पहाड़ तोड़ने में लगे गए । कई वर्षों की मेहनत के बाद भी पहाड़ नहीं टूटा।
एक बार उनको सांप ने काट लिया पर वह फिर भी अपने लक्ष्य से दूर नहीं हुए और निरंतर पहाड़ तोड़ते रहे। दशरथ मांझी का हौसला उस पहाड़ से भी बड़ा निकला। वह निरंतर बस एक ही काम करते रहे,पहाड़ पर ही सोते ,खाते और फिर उसी को तोड़ने में लग जाते हैं। अपनी पत्नी की याद में वह यह कार्य करते रहते।
गांव के सभी लोग उनको पागल तक समझने लगे थे। 5 साल तक तो सभी को यकीन था कि यह असंभव है लेकिन जैसे ही 10 साल निकले थोड़ा-थोड़ा रास्ता दिखने लगा और सबको यकीन हो गया था कि अब यह पहाड़ तोड़ कर ही दम लेगें ।
अपनी जिंदगी के 22 साल दशरथ मांझी पहाड़ को तोड़ने में लगे रहे और अंत में उन्होंने यह असंभव कार्य करके दिखाएं।
इसके बाद दशरथ मांझी को अनेक पुरस्कार मिले और उनका नाम आज बिहार के इतिहास में अमर हो गया.
हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक साल में ही थक जाते हैं जबकि दशरथ मांझी जैसे लोग एक लक्ष्य के लिए 22 साल तक निरंतर मेहनत करते रहते। हमको दशरथ मांझी से सच्चे प्रेम , आत्मसमर्पण से असंभव कार्य को संभव कर दिखाने के हौसले को जरूर सीखना चाहिए। आज के युवा अगर दशरथ मांझी से एक परसेंट भी सीख लेंगे तो वह हर लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
दोस्तों आपको रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। इन कहानियों में हम आपके लिए कपिल शर्मा,एमबीए चायवाला और दशरथ मांझी की वह कहानी लेकर आए। तीनों ही व्यक्ति ने साधारण परिवार में जन्म लिया और सब के लिए एक मिसाल बन गए।
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