आम्रपाली वैशाली नगर की नगरवधू थी । वैशाली में उस समय लोकतंत्र था । उपनिषद मिलकर यह निश्चित करते थे कि वैशाली का राज पाट कैसे चलाया जाए। अम्रपाली खुद अपनी इच्छा से नगरवधू नहीं बनी थी ।उपनिषदों की इच्छा और वैशाली नगर में शांति बनाए रखने के लिए आम्रपाली को नगरवधू बनाया गया था ।
Gautam budhha and Amrapali – आम्रपाली को बनाया नगर बधू
आम्रपाली इतनी सुंदर थी कि उसको बहुत सारी राजाओं व्यापारियों और राज्य के सबसे ज्यादा धनी लोगों के रिश्ते आने लगे ।उसके माता-पिता यह निश्चित नहीं कर पा रहे थे की आम्रपाली का विवाह किससे करें ।
अगर वह किसी से आम्रपाली का विवाह तय करते तो गुस्से में आकर लोग उस नौजवान के घर पर हमला कर देते । उसके माता-पिता आम्रपाली के विवाह के लिए चिंतित होने लगे , देखते ही देखते आम्रपाली की सुंदरता का विषय उपनिषदों तक पहुंच गया ।
उपनिषद भवन में आम्रपाली के विषय में चर्चा होने लगी । उपनिषदों ने मिलकर आम्रपाली को वैशाली की नगरवधू बना दिया । gautam budhha and amrapali
जब बुद्ध के शिष्य ने एक नृतिका के घर रहने की अनुमति मागी तब क्या कहा बुद्ध ने – read more
Gautam Buddha and Amrapali – आम्रपाली का वैभव
आम्रपाली की सुंदरता की चर्चा आसपास के सभी राज्यों तक थी । आम्रपाली के द्वार पर बड़े-बड़े राजा राजकुमार व्यापारी व्यापारी के लड़के और समस्त वैशाली के एक से एक धनवान लोग खड़े रहते थे । आम्रपाली किसके साथ समय बिताएगी यह स्वयं तय करती थी । अम्रपाली के पास धन, महल , दास दासियों की कमी नहीं थी । उसका महल राजा के महल जैसा बड़ा था ।
बुद्ध का वैशाली आगमन
बुद्ध भ्रमण करते हुए अपने शिस्यों के साथ वैशाली नगर आते हैं, थोड़े ही समय में पूरे वैशाली में बुद्ध के आगमन की बात फैल जाती है । अम्रपाली को जैसे ही पता चलता है कि भगवान बुद्ध वैशाली में आए हैं । वह भगवान बुद्ध को अपने घर में खाने का निमंत्रण देने के लिए 500 दासियों के साथ उनके आश्रम चली जाती है ।
वैसे तो अम्रपाली को यह विश्वास था की बौद्ध उसके घर खाने के लिए नहीं जाएंगे। फिर भी वह पूरे सम्मान से अपनी दासियों को लेकर उनको निमंत्रण देने जाती है।
आम्रपाली को आश्रम में देख वैशाली के लोगों को अचंभा होता है। भगवान बुद्ध आम्रपाली के निमंत्रण को स्वीकार कर लेते हैं । जब बुद्ध आम्रपाली के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं तो उनके शिष्य और जनता मैं कोतूहल होने लगता है ।
बुद्ध के रास्ते में आया जब सबसे खुख़ार डाकू तब बुद्ध ने क्या किया – read more
एक शिस्य हिम्मत करके बुद्ध से कहता है अगर आप आम्रपाली के घर भोजन के लिए जाएंगे तो लोग क्या कहेंगे । आपके विरोधी आपका उपहास बनाएंगे और आपकी आलोचना होगी । क्या किसी वेश्या के यहां भोजन करना गलत नहीं है । बुद्ध कहते हैं मैंने तो बस उसका प्रेम भाव देखा । उसने जिस निश्चलता से मुझे आमंत्रित किया मैंने तो वही देखकर हां करदी । दोस्तों Gautam buddha and amrapali में आप पड़ेगे कैसे एक नगर बधू ने सन्याश लिया ।
बुद्ध का शिष्यों को जबाब
जब मन के सारे विकार खत्म हो जाते हैं तब आपको कोई नहीं रोक सकता न आपकी शांति भंग हो सकती है न आपको किसी की आलोचना का भय रह जाता है । बुद्ध के शिष्य को बात समझ में आ गई।
आम्रपाली की तैयारी
अम्रपाली ने ना जाने कितने प्रकार के व्यंजन बनवाएं और सुबह से ही बुद्ध के आने की तैयारी में स्वयं लगी रही। 500 दासियों के होते हुए भी वह सुबह से ना बैठी और पूरी व्यवस्था का जायजा लेती रही। वैसे तो उसको लग नहीं रहा था कि बुद्ध उसके घर में आएंगे पर उसका मन नहीं मान रहा था और वह व्यवस्था पूरे मन से कर रही थी।
यह कहानी Gautam buddha and amrapali की है ।जब बुद्ध अपने शिष्यों के साथ उसके घर के बाहर आ गए तो आम्रपाली की खुशी का ठिकाना ना रहा । अम्रपाली ने स्वयं बुद्ध के लिए थाली लगाई और सभी शिष्यों के भोजन का प्रबंध किया।
जिस भाव से आम्रपाली बुद्ध को खाना परस रही थी और उनके सामने बैठकर उनको निहार रही थी ।आम्रपाली को एक अलग ही शांति का एहसास हुआ । बुद्ध को खाना खाते देख आम्रपाली को पहली बार इतनी शांति का एहसास हुआ । Gautam buddha and amrapali आम्रपाली सोच रही थी कोई इतना शांत कैसे हो सकता है । कैसे कोई खाने को इतनी चेतना से खा सकता है। आम्रपाली के मन में चेतना जाग रही थी । भोजन के बाद आम्रपाली ने बुद्ध से कहा आप मेरे घर आए मैं धन्य हो गई।
आम्रपाली की चेतना जागना
आपने मेरे महल को पवित्र कर दिया । मेरे मन में आपके प्रति अपार श्रद्धा है । मैंने आज तक हर वस्तु का भोग विलास किया है सोने ,चांदी ,हीरा, मोती मेरे खजाने में भरे पड़े हैं । वैशाली के सारे युवा , आसपास के राजा मेरी झलक मात्र से मुझे पाने की चेष्टा करते हैं । पर आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसने मुझे सम्मान की नजर से देखा ।
यह एक पौराणिक कथा पर आधारित Gautam buddha and amrapali की कहानी है ।मुझे आप जैसे शांत व्यक्ति अपने जीवन में आज तक नहीं मिले । मैं आपसे दीक्षा लेना चाहती हूं और अपने सारे धन दौलत महल सब कुछ आपके शिष्यों को दान देना चाहती हूं । मैं इस मोह माया की दुनिया को छोड़ कर चेतना के मार्ग पर चलना चाहती हूं और अपने दुख दर्द से छुटकारा पाना चाहती हूं।
Gautam buddha and amrapali – बुद्ध ने कहा देवी आप भले ही वैशाली की नगरवधू हो पर आपका मन स्वक्ष तथा निश्चल है । आपने वैशाली की भलाई के लिए अनेक कुर्बानियां दी हैं । अब वैशाली के प्रति आपका दायित्व समाप्त
हो गया है । आप अपनी इच्छा से बौद्ध भिक्षु बन सकती हैं । भगवान बुद्ध ने पहली महिला को बौद्ध भिक्षु स्वीकार किया । इसके बाद ही बुद्ध के मठ में महिलाओं का प्रवेश प्रारंभ हो गया । बुद्ध ने संघ में महिलाओं के लिए कुछ अलग नियम बनाएं । इस प्रकार वैशाली की नगरवधू एक बौद्ध भिक्षु बन गई और सारा जीवन सरलता और सहजता से व्यतीत किया।
दोस्तो Gautam buddha and amrapali की कहानी प्रचलित कथाओं से ली गई है इसका वर्णन अलग अलग जगह पर अलग अलग है । Gautam buddha and amrapali की कहानी मैंने अपने शब्दों में लिखी है आशा करता हूँ आप को यह पासनाग आयेगी । Gautam buddha and amrapali
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