दोस्तों यह कहानी एक खुख़ार डाकू की है जिसका नाम अंगुलिमाल था ।Daku angulimal ki kahani में आप पढ़ेंगे कैसे एक डाकू भिक्षु बन जाता है । Daku angulimal ki kahani –
अंगुलिमाल
अंगुलिमाल एक डाकू था जो लोगों को मारकर उनकी उंगलियों को काटकर माला बनाता था । बच्चे, बूढ़े, ऋषि या महिला कोई भी उसे मिलता वह उसको मार देता । अंगुलिमाल को ना जाने कितने राज्यों के सैनिक ढूंढ रहे थे । पर वह किसी के हाथ में नहीं आता था । अंगुलिमाल राक्षस जैसी वेशभूषा में रहता था । वह खुद को आदिमानव कहता था।
Daku Angulimal ki Kahani – बुद्ध का भिक्छा लेने जाना
एक बार गौतम बुद्ध गांव में भिक्षा मांगने गए । उस गांव के आसपास अंगुलिमाल को देखा गया था। पूरे गांव में ऐसा सन्नाटा था जैसे एक भी व्यक्ति गांव में ना हो , बुद्ध ने प्रथम घर में जाकर भिक्षा मांगी पर किसी ने द्वार नहीं खोले । बुद्ध ने दूसरे घर में जाकर भिक्षा मांगी फिर भी किसी ने द्वार नहीं खोलें ।
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अंगुलिमाल का पता लगना
जब बुद्ध आगे गए तो एक व्यक्ति ने बुद्ध को अपने घर में खींच लिया और कहा हे मुनि आप बाहर मत घूमो बाहर अंगुलिमाल है । क्या आपको नहीं पता की खूंखार डाकू अंगुलिमाल को यहां पर देखा गया है । जो लोगों को बिना किसी वजह के मारता है । बुद्ध ने पूछा क्या वह दौलत के लिए लोगों को नहीं मारता ।
उस नागरिक ने कहा नहीं वह तो बिना किसी वजह के लोगों को मारता है।वह यह नहीं देखता सामने कौन है , वह उनको मार कर उनकी उंगली काट कर माला बनाता है ।दोस्तों आप Daku angulimal ki kahani पढ़ रहे है ।
आप अभी कहीं मत जाइए यही छुप जाइए । बुद्ध ने कहा मैं भय से अपना रास्ता नहीं बदल सकता । भय के चलते में कर्म नहीं छोड़ सकता। इतना कहकर बुद्ध उस गांव से चले जाते हैं ।
बुद्ध का जंगल जाना
बुद्ध जब जंगल में जाते है तब अंगुलिमाल बुद्ध को देख लेता है । बुद्ध के मार्ग में अंगुलिमाल आकर खड़ा हो जाता है । बुद्ध अंगुलिमाल को देखते हैं और आगे चले जाते हैं । अंगुलिमाल एक पल के लिए सोच में पड़ जाता है उसके जिंदगी में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था।कोई व्यक्ति उसको नजर अंदाज कैसे कर सकता है । Daku angulimal ki kahani ।
इतना डरावना वेश धारण किया फिर भी बुद्ध ने उसको देखा तक नहीं । सोचता है की मुझे देखकर ही लोगों के प्राण निकल जाते हैं, कुछ भागने की कोशिश करते हैं , कुछ डरकर बेहोश हो जाते हैं और कुछ मेरे पैरों में गिर कर जान की भीख मांगने लगती हैं । पर यह व्यक्ति कौन है जिसने मुझे देखा तक नहीं। ऐसे कैसे हो सकता है ।
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यह है Daku angulimal ki kahani । अंगुलिमाल जोर से चिल्लाता है कौन हो तुम कहां जा रहे हो, तुम मुझे नहीं जानते क्या ? बुद्ध उसको नजरअंदाज करके आगे चले जाते हैं । वह फिर से जोर से चिल्लाता है वहीं रुक जाओ अंगुलिमाल तुमसे कुछ कह रहा है ।बुद्ध उसकी एक नहीं सुनते हैं।
अंगुलिमाल का हमला
अंगुलिमाल आगे आकर उन पर चाकू रख देता है । वह देखता है भगवान बुद्ध अंगुलिमाल से तनक भी भयभीत नहीं है । वह पूछता है कौन हो तुम ? तुम को मुझ से डर नहीं लगता? तुम जानते नहीं मैं कौन हूँ ।मैं आदिमानव हूँ ।
बुद्ध कहते हैं नहीं तुम बस मानव हो ।यह बात अंगुलिमाल के हृदय पर लगती है । वह फिर गुस्से से पूछता है तुमको मेरे गले में उंगलियों की यह माला नहीं दिखती । मैं अंगुलिमाल हूँ । मैं सभी मनुष्य को मारता हूँ , मैं सभी को मारूंगा ।
बुद्ध कहते हैं जीवन जीने का हक सभी को है, दया, प्रेम ,करुणा यह सब तो मनुष्य के अंदर होता है । Daku angulimal ki kahani – अंगुलिमाल चिल्लाकर कहता है मनुष्य तो केवल दुराचार, घृणा क्रोध और धन का भूखा होता है ।
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बुद्ध का मार्गदर्शन
बुद्ध कहते हैं मैं देख सकता हूँ कि तुम पर लोगों ने काफी अत्याचार किए हैं । तुम्हारे अंदर के दुख को मैं महसूस कर सकता हूँ । तुमको जीवन में केवल तिरस्कार ही प्राप्त हुआ है । ईर्ष्या, क्रोध ,घृणा ,दुराचार यह सब तो अज्ञानता की संतान है।
अज्ञानी लोग ही ऐसा करते हैं । मनुष्य मैं तो करुणा प्रेम और सद्भाव भरा होता है। जो ज्ञान प्राप्त होने के बाद उभर कर आता है। भगवान बुद्ध कहते हैं कि तुम अभी रुक सकते हो, तुम को ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
तुम्हारे सारे दुख दर्द दूर हो सकते हैं। देखते ही देखते अंगुलिमाल के हाथ से उसका हथियार नीचे गिर जाता है और वह जोर जोर से रोने लगता है ।Daku angulimal ki kahani ।
अंगुलिमाल का मन बदलना
अंगुलिमाल कहता है, हे प्रभु क्या आप वही हैं जिसकी लोग चर्चा कर रहे हैं ,एक महान पुरुष है जो लोगों को सत्य का मार्ग दिखाते हैं और उनके दुख दर्द दूर कर लेते हैं।क्या आप बुद्ध हैं ? जब लोगों को ज्ञान हो जाता है तो उनके दुख दर्द स्वयं ही दूर हो जाते हैं।
जब तक लोग अंधकार, अज्ञान मैं रहते हैं तब तक वह दुखी रहते हैं। तुम भी जग सकते हो ,हर व्यक्ति में जागने की क्षमता होती है। ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता होती है ।अज्ञानता को दूर करने की क्षमता होती है।
बुद्ध का शिष्य बनना
तुम्हारा भूतकाल कैसा भी रहा हो पर तुम सत्य प्राप्त कर सकते हो ।अपने दुख दर्द को दूर कर सकते हो । तुम भी दया और करुणा के पथ पर चल सकते हो ,तुम मेरे शिष्य बन सकते हो । अंगुलिमाल कहता है, हे प्रभु मैंने बहुत पाप किए हैं बहुत लोगों की हत्याएं की हैं और अपने जीवन में ना जाने क्या-क्या किया है ।
अब मैं रुक नहीं सकता ना जीवन की ओर वापस जा सकता हूँ , मैं कितना भी अच्छा कर लूँ लोग पुराने कर्मों की वजह से नफरत ही करेंगे मैं ,कभी सत्य के मार्ग पर नहीं चल पाऊंगा । बुद्ध कहते हैं अंगुलिमाल तुम में इतनी चेतना है कि क्या गलत है और क्या सही है इसकी तुम्हें पहचान है ।
तुम्हारी बुद्धि औरों से अलग है , तुम सत्य के मार्ग पर ऊंचा मुकाम हासिल करोगे । Daku angulimal ki kahani अगर तुम यह सब छोड़कर मेरे शिष्य बनते हो तो मैं तुम्हें संरक्षण दूंगा । लोगों से तुम्हें बचा लूंगा और तुम्हारे दुख दर्द दूर करूंगा । यह सब सुनकर अंगुलिमाल बुद्ध के पैरों में गिर जाता है और उनका शिष्य बन जाता है ।Daku angulimal ki kahani
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बौद्ध भिक्षु बनने के बाद
बौद्ध भिक्षु बनने के बाद उसका नाम अहिंसक पड़ जाता है । जब अहिंसक पहली बार भिक्षा मांगने के लिए गांव जाता है तो कुछ लोग उससे बदला लेने के लिए उसको लाठी डंडों से मारते हैं ।Daku angulimal ki kahani । यह बात बुद्ध को पता चलती है तो वह स्वयं गांव जाकर लाठी और डंडों के बीच में आ जाते हैं।
यह सब देखकर गांव के लोग रुक जाते हैं। गांव वाले बुद्ध से कहते हैं आप इस राक्षस को मत बचाए इस ने जाने कितने लोगों को मारा है । बुद्ध कहते हैं अब यह बदल चुका है ।यह पहले जैसा नहीं रहा, आप सब लोग मुझे एक बात बताइए अगर यह पहले जैसा हिंसक होता तो क्या आप में से कोई उसको मार पाता।
इतनी मार खाने के बाद भी क्या इसने आप में से किसी को मारने की चेष्टा की, क्या इसमें आपके प्रति कोई द्वेष दिखता है । सब लोग यह सुनकर शांत हो गए । लोगों को अंगुलिमाल का परिवर्तन साफ दिखाई दे रहा था । बुद्ध ने गांव के लोगों से कहा अब आप लोग भी उसके परिवर्तन को स्वीकार कीजिए और पुरानी स्मृतियों को मिटा दीजिए ।
अंगुलिमाल अब एक अहिंसक है और मेरा शिष्य है।तभी गांव की एक महिला बोली कि इसने एक मां और बच्चे की जान भी बचाई है ।बुद्ध ने वहां के लोगों को अंगुलिमाल के अच्छाइयों के बारे में बताया और लोग शांत हो गए। फिर कभी किसी ने ना अंगुलिमाल पर हाथ उठाया और ना उससे कभी कोई उससे डरा।Daku angulimal ki kahani !
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दोस्तों यह Daku angulimal ki kahani बुद्ध के जीवन से ली गई है। Daku angulimal ki kahani में सत्य का भाव है ।
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