Buddha And Ananda Story

दोस्तों यह कहानी भगवान बुद्ध के शिष्य आनंद की है। Buddha and ananda story में आप पढ़ेंगे – बुद्ध जन कल्याण के लिये बारह माह में से 2-3 माह बरसात में एक जगह रुकते थे ।

Buddha and ananda story में उसी समय का उल्लेख है । जब भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ राज्य में भ्रमण करते हैं और बरसात के समय पर एक बड़े शहर के पास आश्रय लेते हैं ।

Buddha and ananda story – शहर के पास रुकना

जब भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ शहर में भिक्षा के लिए जाते हैं तब अपने महल की खिड़की से एक नृतिका आनंद को देखती है और उनके रूप पर मोहित हो जाती है । वह सोचती है मैं किसी भी प्रकार से इस पुरुष को पा लूंगी ।

वह आनंद को पाने के लिए षड्यंत्र रचने लगती है ।जब आनंद उसके यहां भिक्छा के लिए आते हैं तब वह आनंद से कहती है बरसात के मौसम में आप लोग कहीं ना कहीं आश्रय लेते हैं क्यों ना आप मेरे महल में आश्रय ले ।

आनंद कहते हैं मैं अपने गुरु बुद्ध से पूछ कर आपको इस बात का उत्तर दूंगा । वह नृतिका कहती है क्या आप स्वयं अपना निर्णय नहीं ले सकते आनंद कहते हैं मैं भगवान बुद्ध का शिष्य हूँ मैं उनसे आज्ञा लिए बना यहां पर नहीं रह सकता ।Buddha and ananda story

आनंद का बुद्ध से पूछना

जब तक आनंद बौद्ध से उस महिला के घर रहने के लिए पूछते तब तक और शिष्यों ने बुद्ध को यह बता दिया था कि आनंद को एक नृतिका ने अपने घर पर रहने का प्रस्ताव दिया है । अतः आप संघ की मर्यादा भंग ना हो इसलिए आनंद को वहां रहने से मना कर देना । बुद्ध ने कहा जब आनंद मुझसे आकर पहुंचेगा तब मैं इस बात का निर्माण करूंगा ।

Buddha and ananda story – बुद्ध का जवाब

थोड़ी देर बाद आनंद बुद्ध के समीप जाकर उनसे कहते हैं हे प्रभु मुझे एक महिला ने अपने घर पर रहने का निमंत्रण दिया है इतना सुनते ही पास खड़े शिष्य कहते हैं वह सिर्फ एक महिला नहीं वह एक नृतिका है ।

आनंद कहते हैं मुझे तो वह बस एक महिला लगी जिसका मन पानी की तरह साफ है । बुद्ध यह बात सुनकर आनंद को उसके घर रहने के लिए भेज देते हैं । इस निर्णय का वहां पर उपस्थित लोग विरोध करते हैं और कहते हैं अगर आनंद उस नृतिका पर मोहित हो जाते हैं तो संघ और आपकी छवि को बहुत आघात लगेगा ।

साथ ही साधु नृतिका के यहां रुकने लगेंगे तो समाज पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। बुद्ध कहते हैं यह एक प्रयोग है मुझे भी इसका उत्तर नहीं पता । बरसात के बाद क्या होता है यह देखने

योग्य रहेगा। इसका उत्तर बरसात के बाद ही मिल सकता है । अगर आनंद अपने मन पर और अपनी वासनाओं पर क़ाबू रख पाए तो निश्चित ही संघ और आश्रम की छवि ऊंची हो जाएगी ।

और अगर आनंद ऐसा नहीं कर पाए तो हमें इस बात का उत्तर मिलेगा की शांत मन भी गृहस्थ मैं जकड़ा जा सकता है । कुछ लोगों को बुद्ध की बात समझ नहीं आई और वहां से चले गए। कुछ लोग उस नृतिका के घर पर नजर रखने लगे । शाम के समय उसके घर में संगीत बजता और नृत्य होता । Buddha and ananda story

निर्तिका के घर का हाल

विभिन्न विभिन्न प्रकार की व्यंजन उसके घर में पकने लगे । उस नृतिका ने आनंद को फंसाने के लिए कई प्रयत्न किए । कभी अमर्यादित तरीके से वस्त्रों को पहना तथा कभी अपनी नृत्य और खूबसूरती से लुभाने की कोशिश की पर आनंद तनिक भी ना बदले ।

वह रोज ध्यान लगाते और शांत रहते ।उसके नृत्य को देखते उसकी बातों को सुनते और फिर ध्यान लगा लेते । देखते-देखते आनंद ने उस नृतिका के दुखों को हर लिया और उसको एक बुद्ध भिक्षु बना दिया ।

बरसात के बाद

तीन महीने बाद जब बरसात खत्म हो गई तो आनंद आश्रम में उस नृतिका को ले आए जो बौद्ध भिक्षुणी बन गई थी । अब उसका मन शांत हो गया और चेतना के मार्ग पर चलने की इच्छा जाग गई ।

उसने अपनी सारी दौलत दुखियों को दान कर दी और सरल जीवन जीना व्यतीत कर दिया। साधना की इस ताकत को देखकर सारे शहर में बुद्ध और आनंद की गरिमा ऊंचे स्तर पर होने लगी । सारे शहर में बस एक ही चर्चा थी कैसे एक नृतिका भिक्षु बन गई । भगवान बुद्ध ने अपने जीवन में ऐसे कई चमत्कार किए थे

बुद्ध ने आम्रपाली जैसी नगरबधू को भी बौद्ध भिक्षु बना दिया था। Buddha and ananda story में बुद्ध हर समय नए-नए प्रयोग करते थे । बुद्ध और उनके शिष्य मानव विकारों से कहीं ऊपर उठ चुके थे । जैसा लोग उनके बारे में सोचते थे वह उससे कहीं ऊपर थे ।

बुद्ध का प्रभाव

बुद्ध ने संघ में कठिन अनुशासन बना रखा था और रोज ध्यान लगा कर ज्ञान के मार्ग खोलते थे। बुद्ध को सुनने मात्र से लोगों के जीवन में परिवर्तन आ जाता था ।जहां जहां वह जाते हजारों की संख्या में लोग बौद्ध भिक्षु बन जाते थे ।Buddha and ananda story

लोग अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हो जाते थे ,कुछ राजाओं ने बुद्ध से विनती की कि आप सैनिकों को भिक्षु बनाना बंद करदें अथवा जब सैनिक अपना कर्तव्य पूरा कर ले उसके बाद उनको संघ में ले क्योंकि राज्य में बहुत से सैनिक बौद्ध भिक्षु बंद गए हैं और राज्य की सुरक्षा पर संकट आने लगा है ।

बुद्ध ने उनकी बात मान कर सैनिकों के भिक्षु बनने पर अलग नियम बना दिए । बौद्ध समय के साथ नियम बनाते रहते थे। पहले बौद्ध के संग में कोई स्त्री भिक्षु नहीं थी फिर बाद में बुद्ध ने स्त्रियों को भी भिक्षु स्वीकार कर लिया था ।

शारांश

यह Buddha and ananda story बुद्ध के शिष्य आनंद के बारे में हैं । पुराण कथाओं में Buddha and ananda story जिक्र अलग-अलग तरीके से किया गया है । कहीं पर कुछ और कहीं पर कुछ लिखा हुआ है ।

पर बौद्ध धर्म की किताब में भी Buddha and ananda story जिक्र है ,यथावत तो नहीं है पर संदर्भ यही है । दोस्तों इस Buddha and ananda story को मैंने अपने रूप में लिखा है Buddha and ananda story उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है न ही इतिहास को गलत तरीके से पेश करना है ।

यह Buddha and ananda story शांति के उपदेश को देने के लिए लिखी गई है । आपको इस कहानी में कुछ आपत्तिजनक लगता है तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं । धन्यवाद।

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