मंच पर हुआ बेहोश | आत्मविश्वास पर प्रेरक प्रसंग 

 

किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास सबसे जरूरी होता है बिना आत्मविश्वास के कोई लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकता। बिना आत्मविश्वास  के साधारण जीवन में भी व्यक्ति सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता।  आत्मविश्वास के सहारे कोई व्यक्ति असाधारण से असाधारण लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता है।   आत्मविश्वास पर प्रेरक प्रसंग में आपको आत्मविश्वास की कहानी पढ़ने को मिलेगी। 

आत्मविश्वास पर प्रेरक
आत्मविश्वास पर प्रेरक

  निरंतर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किया गया कर्म हमारे आत्मविश्वास को और हमारी क्षमताओं को बढ़ाता है। लक्ष्य की ओर प्राप्त किए गई छोटी सी जीत भी हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती है। 

आत्मविश्वास पर प्रेरक

यह कहानी है श्याम नाम के लड़के की जो बचपन से पढ़ने में बहुत होशियार था और उसको लिखना बहुत अच्छा लगता था। किसी भी विषय पर वह घंटों लिखता रहता था और उसकी दोस्ती किताबों से इतनी गहरी थी कि वह लाइब्रेरी में अपनी सारी छुट्टियां निकालता था। 

 श्याम के गिने-चुने एक दो ही दोस्त थे उनसे भी वह बहुत कम मिलता था किसी भी नए व्यक्ति से मिलने में श्याम को पसीना आ जाता था। बहुत दिन ऐसे ही चलता रहा। धीरे-धीरे श्याम ने अपनी कॉलेज की भी पढ़ाई पूरी कर ली और नौकरी की तलाश करने लगा। 

 जब श्याम नौकरी की तलाश में किसी ऑफिस के दफ्तर जाता तो वह बात करने में भी झिझक था और कांपने लगता , ऐसा इसलिए होता क्योंकि श्याम बहुत कम लोगों से मिलता था  और ना किसी से बात करता था। 

 श्याम के माता-पिता उसकी इस आदत से बहुत चिंतित रहते थे उन्होंने श्याम को अपने रिश्तेदारों के यहां भेजा और हर उस जगह लेकर गए जहां पर उसको नए-नए दोस्त मिले या नए-नए लोग मिले ,पर नतीजा कुछ भी ना निकला।  श्याम जहां भी जाता ऐसे चुप हो जाता मानो उसके मुंह में जबान ही ना हो। 

 बहुत कोशिश के बाद जब शाम को नौकरी नहीं मिली तब उसने निश्चय किया कि वह अपने लिखे हुए प्रसंगों से समाज को प्रेरित करेगा और एक मोटिवेशनल स्पीकर बनेगा। 

  श्याम का यह सपना उसके नेचर के बिल्कुल विपरीत था। श्याम ने एक बहुत अच्छा आत्मविश्वास पर प्रेरक प्रसंग लिखा और उसको मंच पर बोलने  का निर्णय लिया। कॉलेज का एक फंक्शन था जिसमें युवा लोग अपनी अपनी बात को रख रहे थे ,दूसरे लड़को को अपनी बात मंच पर रखते देखकर श्याम पसीना पसीना हो गया। जैसे ही श्याम का नाम आया उसके हाथ पैर कांपने लगे। 

  श्याम की हालत ऐसी हो गई थी मानो किसी ने दिनभर उसकी पिटाई कर दी हो ,उसका चेहरा उतर गया था। श्याम का गला ऐसे सूख गया था जैसी रेगिस्तान हो। 

 इस मंच पर बोलने के लिए श्याम ने पिछले दो-तीन महीनों से बहुत मेहनत की थी। उसने एक एक शब्द को सौ सौ बार लिखा और उसको याद किया और अपने अंदर इतना आत्मविश्वास भरा कि वह आसानी से बोलेगा , पर हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 

जब श्याम मंच पर खड़ा हुआ और माइक पकड़ा तो श्याम के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला। उसके सामने अंधेरा छा गया , उसे यह तक याद नहीं था कि उसे क्या बोलना है और वह यहां किस लिए आया है। श्याम ने फिर पूरी हिम्मत की और दो चार शब्द कांपते हुए अपने मुंह से निकाले पर श्याम इतना डर गया कि वही बेहोश हो गया। 

 इस घटना ने श्याम के आत्मविश्वास को चकनाचूर कर दिया और निराश होकर श्याम ने निर्णय किया कि अब वह दोबारा कभी किसी मंच पर नहीं जाएगा।  अपने टूटे हुए सपने को  लेकर वह एक मंदिर पहुंचा और वहां  एकांत में बैठा था। उसके चेहरे से उसकी परेशानी साफ झलक रही थी और ऐसा लग रहा था कि यह लड़का बहुत दुख में है। 

उपदेश

तभी वहां पर एक बुजुर्ग आए और उन्होंने बड़े प्यार से कहा -बेटा क्या हुआ ? तुम इतने उदास क्यों हो ? श्याम अजनबियों से कभी बात नहीं करता था पर उसने अपनी सारी बात बताई। उस बुजुर्ग ने श्याम से वह कागज लिया जिसमें उसने प्रेरक प्रसंग लिखे हुए थे।  बुजुर्ग ने वह पढ़ कर कहा बेटा तुम बहुत अच्छा लिखते हो बस समस्या यह है कि तुम मंच से डर रहे हो यह कोई बड़ी बात नहीं है। 

 श्याम ने कहा आपको लगता है बड़ी बात नहीं है। क्या आप कभी मंच पर गए हो ?क्या आपने कभी इतने सारे लोगों का सामना किया है ?क्या आप कभी कुछ खड़े होकर भी बोले हो? 

 उस बुजुर्ग ने मुस्कुराकर कहा यह सब तो मैं नहीं जानता पर जब तुम मेरी उम्र के हो जाओगे और सोचोगे कि आखिर तुमने अपना मनपसंद कार्य सिर्फ इसलिए छोड़ दिया कि तुम एक बार मंच पर बोलने में असफल रहे ,लोग तुम पर हंसे होंगे ,इससे ज्यादा तो कुछ हुआ नहीं होगा। लोगों का काम है हंसना अगर तुम अच्छा बोलते तो ताली बजा देते और बहुत अच्छा बोलते तो वह थोड़ा बहुत याद रख लेते इससे ज्यादा क्या ही हुआ है। बस तुमने अपने डर को अपने दिल में बसा लिया है इस वजह से तुम्हारा आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया। 

  मैं बस तुमसे इतना कहूंगा तुम सिर्फ एक बार असफल हुए हो तुम यह काम 10 बार करके देखो अगर तुम पहले से बेहतर नहीं हुए और बोलने में सक्षम नहीं हुए तो तुम जो कहोगे मैं वह करने को तैयार हूं। बुजुर्ग के इस चैलेंज से श्याम को एक मोटिवेशन मिला और उसने सोचा मैं एक बार में हार नहीं मानूंगा चाहे कुछ भी हो जाए। 

कुछ दिन बाद फिर एक ऐसा ही फंक्शन किसी कॉलेज में रखा गया जिसमें श्याम ने अपना नाम जुड़वा दिया। 

 इस बार भी शाम का हाल वही था पसीना आ रहा था हाथ पैर काँप रहे थे पर श्याम इस बार  थोड़ा बोलने में सक्षम हुआ उसने अपना लिखा हुआ आधे से ज्यादा पड़  दिया और बाकी कम शब्दों में खत्म कर दिया कुछ लोगों ने ताली बजाई कुछ लोगों ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। 

 श्याम का आत्मविश्वास अब बढ़ चुका था उसने निरंतर इस कार्य को जारी रखा और कुछ वर्षों में वह सबसे अच्छा मोटिवेशनल स्पीकर बन गया और उसका सपना साकार हो गया। 

सफलता का श्रेय

  बहुत दिनों बाद एक फंक्शन में एक चीफ गेस्ट को बुलाया गया जो कि बहुत बड़े समाजसेवी थे। जैसे ही वह मंच पर आए तो श्याम उनको देख कर चौक गया क्योंकि यह वही वृद्ध व्यक्ति थे जो उस  दिन उनको मंदिर में मिले थे। सामने पास जाकर उनके पैर छुए और बताया आपकी वजह से आज मैं यहां पर हूं नहीं तो शायद मैं कहीं और होता।

वह मुस्कुराए और बोले यह मेरी वजह से नहीं यह तुम्हारी वजह से हुआ है। मैं ऐसे उपदेश कई बच्चों को देता हूँ पर सब में अपने डर से लड़ने का आत्मविश्वास नहीं होता है तुमने अपने सपने के लिए अपने डर को हराया और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाया इसलिए तुम सफल हुए हो। यह तो तुम्हारा बड़प्पन है कि अपनी सफलता के लिए मुझे श्रेय दे रहे हो।

निष्कर्ष

– आत्मविश्वास वह शक्ति है जिसके सहारे हम असंभव से असंभव लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकते हैं। निरंतर कार्य करके हम अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि आपने आत्मविश्वास पर प्रेरक प्रसंग में पड़ा कि जो लड़का मंच पर पहली बार में गिर गया वह बाद में एक अच्छा वक्ता बना उसी प्रकार हम भी कोई भी लक्ष्य अपने आत्मविश्वास और मेहनत से प्राप्त कर सकते हैं।

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