ईनाम मै माग़े 100 कोढ़े – chatur kisan ki kahani

chatur kisan ki kahani – नमस्कार दोस्तों यह कहानी है प्राचीन काल की जब भारत में राजा महाराजाओं का राज चलता था । दिल्ली के सिंहासन पर एक चालाक राजा जिसका नाम रामसिंह था।

रामसिंह को किसी पर भरोसा नहीं था। वह अक्सर रात के समय में भेष बदलकर अपने राज्य में भ्रमण करके जनता की परेशानियों और राज्य में क्या क्या बात होती है – राजा के प्रति, समाज के प्रति ओर क्या क्या हो रहा है रात रात भर घूम कर देखता ।

chatur kisan ki kahani – राजा का रात में जाना

एक दिन जब राजा भेस बदलकर जैसे ही निकलता है तो नदी के पास देखता है कुछ लोग को एक वृद्ध को परेशान कर रहे थे , राजा पास जाता है और लोगों से वृद्ध को बचाता है । बूढ़े को बचाते बचाते राजा का पेर फिसल जाता है और वह नदी की तेज धारा में बह जाता है ।राजा बहते हुए बहुत दूर चला जाता है ।

आप पड़ रहे chatur kisan ki kahani । तभी नदी के पास एक व्यक्ति गुज़रता है ।वह देखता है कि कोई नदी में बह रहा है। वह नदी में कूदकर राजा को बचा लाता है। पर उसको मालूम नहीं था कि यह राजा है ।

वह व्यक्ति गाँव का रहने वाला था और बहुत कम ही गाँव से बाहर जाता था। मन लगाकर खेती बाड़ी करता और दुनियादारी से दूर ही रहता था। उसने राजा का उपचार ख़ुद ही किया।chatur kisan ki kahani

राजा को होस आना

दूसरे दिन जब राजा को होश आता है तो वह देखता है कि वह एक झोपड़ी में सो रहा है ।राजा तुरंत उठकर बाहर आता है। वहाँ पर उसे एक व्यक्ति दिखता है।

राजा पूछता है कौन हो तुम? मैं यहाँ कैसे आया ?कितने दिन से मैं सो रहा था ? राजधानी से यह गाँव कितनी दूर है ? वह व्यक्ति बोलता है मेरा नाम धनीराम है।रात के समय तुम्हें नदी में बहते देखा तो मैंने तुम्हारी जान बचायी ।

यह एक chatur kisan ki kahani है । राजा ने सोचा अगर मैं इसको बता दूँ कि मैं राजा हूँ तो हो सकता है मेरी जान को ख़तरा हो या आस पास मेरा कोई दुश्मन हो और बिना सेना और हथियार के मुझे देखकर मुझ पर हमला कर दें ।

राजा का झूट बोल कर जाना

राजा ने कहा मैं राज दरबार में काम करता हूँ ,तुमने मेरी जान बचायी है। मैं तुम्हारा एहसानमंद हूँ। जो तुम बोलोगे मैं वही दूँगा, मागों क्या चाइए । धनीराम बोला अभी तो तुम कुछ देने के लायक नहीं हो, तुम्हारे कपड़ों में कुछ नहीं हैं और न तुमने कोई गहने पहने हो । बस तुम्हारे कपड़ों में एक राजकीय मुहर है । तुम मुझे क्या दे सकते हों ।

आगे पड़िये chatur kisan ki kahani में क्या होता है । राजा ने कहा अभी मैं तुम्हें कुछ नहीं दे सकता पर दरबार आकर यह मुहर दिखाना वहाँ जो तुम बोलोगे में दूगा । धनीराम ने कहा अभी तो मुझे कोई ज़रूरत नहीं है जब मुझे ज़रूरत पड़ेगी मैं तुम्हें ज़रूर याद करूँगा । राजा ने कहा ठीक है ।

धनीराम का शहर जाना

देखते ही देखते है बहुत दिन बीत गए ,एक बार अतिवृष्टि के कारण धनीराम की सारी फ़सल बर्बाद हो गई है। गाँव में बाढ़ आ गई धनीराम ने सोचा अब मैं राजधानी जाकर अपने मित्र से सहायता मांगूंगा ताकि पूरे गाँव का भला हो सके । chatur kisan ki kahani

धनीराम जैसे ही राजधानी पहुँचा राजा के महल के बाहर एक द्वारपाल खड़ा था । द्वारपाल को मुहर दिखाकर धनीराम बोला मेरा मित्र राज दरबार में काम करता है। मुझे उससे मिलने जाना है ।

द्वारपाल जैसे ही मुहर देखी और कहा यह मुहर केवल राजा के पास होती है क्या राजा तुम्हारा मित्र है । धनीराम को कुछ समझ न आया, उसने कहा मुझे अंदर जाने दो। मैं देख लूंगा द्वारपाल ने बोला ठीक है, मैं तुम्हें बस एक शर्त पर अंदर जाने दूँगा अगर तुमको राजा से कोई इनाम मिले तो मुझे आधा देना होगा नहीं तो मैं तुम्हें मुहर चुराने के इल्ज़ाम में जेल भेज दूँगा ।

धनीराम ने कहा ठीक है तो मुझे अंदर जाने दो । धनीराम जैसे ही अंदर गया तो उसने देखा जिसकी उसने जान बचायी थी वह तो सचमुच राजा है ।धनीराम ने राजा की जय जयकार की और राजा से कहा मैं आज विपत्ति में हूँ मुझे आपसे सहायता चाहिए ।chatur kisan ki kahani

किसान की शर्त

राजा ने कहा आओ मित्र जो तुम कहोगे मैं दूँगा बताओ तुमको क्या चाहिए ? धनीराम ने कहा -मेरी दो शर्त हैं 1- से मुझे लाभ होगा एक से आपको लाभ होगा । क्या आप मुझे दे पाओगे? राजा ने कहा तुम जो कहो मैं वही मैं दूँगा , माँगो !

पहली शर्त मेरे गाँव में बाढ़ आ गई है । इसलिए आप सारे गाँव का रहने और खाने का इंतज़ाम कीजिए और इस बार जहाँ जहाँ बाढ़ आयी है वहाँ से लगान मत लीजिए । राजा ने कहा मंज़ूर है ।

दूसरी शर्त क्या है ।धनीराम बोला मुझे 50 कोड़े मारे जाएँ । यह सुनकर सारा दरबार दंग रह गया । राजा बोला 50 कोड़े ? तुम पागल हो गए हो, क्या इनाम में पचास कोड़े कौन मागता है और तुम्हें 50 कोड़े मारने से मुझे क्या फ़ायदा होगा ? chatur kisan ki kahani

chatur kisan ki kahani – धनीराम ने कहा आप मेरी इच्छा पूरी करेंगे या नहीं करेंगे बस इतना बता दीजिये ? राजा बोला मैं तुम्हारी इच्छा पूरी ज़रूर करूँगा पर तुम मुझे इसके पीछे का कारण बताओ आख़िर तुम्हें 50 कोड़े क्यों मारे जाए ।

धनीराम बोला जब मैं आपके दरबार में आया और आपकी दी हुई मुहर मैंने द्वारपाल को दिखाई तो उसने बोला की मैं तुम्हें तभी दरबार में जाने दूँगा जब तुम मुझे इनाम का आधा हिस्सा दोगे नहीं तो मैं तुम्हें जेल भिजवा दूँगा इसलिए महाराज आप मुझे 50 कोड़े मारने की सजा दे ताकि 25 कोड द्वारपाल वो पढें ।

यह कहानी एक chatur kisan ki kahani है । राज्य ग़ुस्से से आग बबूला हो गया , राजा ने बोला क्या यह सच है ? तभी पीछे खड़े एक व्यक्ति ने बोला । हाँ महाराज यह सच है एक बार मेरे साथ भी ऐसा हुआ था पर द्वारपाल के डर से आपको बताने की हिम्मत नहीं हुई ।

राजा का आदेश

राजा ने कहा जाओ द्वारपाल को लेकर आओ। द्वारपाल से राजा बोला इस व्यक्ति ने तुमसे ख़ुश होकर इसको मिले इनाम का पूरा हिस्सा तुम्हें देने को कहा है और मैं इस निर्णय से ख़ुश होकर तुम्हें दुगना ईनाम देना चाहता हूँ यह सुनके द्वारपाल बड़ा ख़ुश हो गया ।chatur kisan ki kahani

राजा ने सेनापति से कहा जल्दी से द्वारपाल को सो कोड़े मारने का इंतज़ाम किया जाए और कोड़े बीच बाज़ार में मारे जाए यह सुनकर द्वारपाल ज़ोर ज़ोर से रोने लगा और बोला महाराज आपने तो दोगुने ईनाम की बात की थी । पर आप तो कोड़े मारने की सजा सुना रहे है ।

महाराज ने कहा कि इस व्यक्ति ने इनाम में 50 कोड़े माँगे हैं और मैं तुम्हारी ग़द्दारी की वजह से सो कोड़े मारने का आदेश देता हूँ ।राजा ने धनीराम से कहा तुम्हारे यहाँ आने से मुझे बहूत फ़ायदा होगा नहीं तो यह द्वारपाल ना जाने आम जनता को ऐसे ही कब तक परेशान करता ।

तुम्हारा जब भी मन करे तुम दरबार आ जा सकते हो और कभी भी कोई ज़रूरत पड़ी तो मुझे याद करना ।यह कह कर राजा ने सभा भंग करवा दी।chatur kisan ki kahani

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