Dhuni wale dada ji / Dhuni wale dada ji –
धूनी वाले दादाजी माता नर्मदा के अनन्य भक्त थे । वह अपने पास हमेशा धूनी/आग जलाकर ध्यान लगाया करते थे । इस वजह से उनका नाम धूनीवाले दादाजी पड़ गया । धूनी वाले दादा जी को शंकर जी का अवतार भी कहा गया है।
धूनी वाले दादा जी का नाम /Dhuni wale dada ji ka nam
धूनी वाले दादा जी नाम केशवानंद महाराज था । दादाजी का आजतक लोगो पर इतना असर है की नर्मदा के पास कई जगह पर संतों को दादा जी कहकर ही पुकारा जाता है ।
धूनी वाले दादा जी का जन्म Dhuni wale dada ji ka janm
-धूनी वाले दादाजी के जन्म की तारीख का तो कोई प्रमाण नहीं है पर ऐसा कहा जाता है की धूनी वाले दादाजी एक पेड़ के यहां प्रकट हुए ।धूनी वाले दादाजी मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गांव साई खेड़ा मैं अवतरित हुए ।
धूनी वाले दादाजी की कहानी / dhuni wale dadaji story
– जब श्री गौरीशंकर महाराज जोकि भगवान शिव के भक्त थे । वह भगवान शिव की खोज में निकले हुए थे । आश्रम आश्रम घूमने के बाद जब ऋषि-मुनियों ने गौरी शंकर महाराज से कहा की नर्मदा तट पर आपको भगवान शंकर के दर्शन हो सकते हैं । गौरी शंकर महाराज ने मां नर्मदा की परिक्रमा जिसका समय 12 वर्ष होता है ऐसी तीन परिक्रमा की, फिर भी उनको भगवान शिव के दर्शन नहीं हुए।
हताश होकर जब वह जल समाधि लेने चले गए तो नर्मदा मैं डूबने की कोशिश करते तो एक छोटी बच्ची उनका हाथ पकड़ कर उनको ऊपर ले आती, बहुत कोशिश करने पर भी जब वह नहीं डूब पाए तो उस बच्ची से बोले तुम क्यों मुझे बचाने की कोशिश कर रही हो, मेरा जीवन व्यर्थ हो गया मैंने शिव जी के दर्शन के लिए नर्मदा जी की परिक्रमा की पर मुझे कोई लाभ नहीं मिला ।
मुझे जल समाधि ले लेने दो वह बच्ची बोली मैं ही तो मां नर्मदा हूं ।Dhuni wale dada ji ki jai .
बताओ तुमको क्या चाहिए गौरीशंकर बोले अगर आप मां नर्मदा है तो मुझे अपने दर्शन भव्य रूप में दीजिए और भगवान शिव के दर्शन का मार्ग बताइए । माता नर्मदा ने गौरी शंकर को अपना भव्य रूप दिखाया और कहा तुम्हारी जमात में केशव नाम का संत है वही शंकर जी का अवतार है। Dhuni wale dada ji ki jai।
जब गौरी शंकर महाराज दौड़ कर केशवानंद महाराज के पास पहुंचते हैं तब वह वहां पर बर्तन धो रहे होते हैं । जैसे ही वह देखते हैं तो उनको दादाजी मैं शंकर जी दिखते हैं।
बहुत बार देखने के बाद भी जब उनको विश्वास नहीं होता तब शंकरजी बोलते हैं की आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा तो तुम छू कर देख लो।
सत्य जानकर गौरी शंकर महाराज नतमस्तक हो जाते हैं और केशवानंद महाराज (दादाजी) वहां से चले जाते हैं। कुछ महीनों के बाद होशंगाबाद में गौरी शंकर महाराज समाधि ले लेते हैं और सभी को दादाजी के शिव रूप से सभी को अवगत कराते हैं ।
धूनी वाले दादाजी के चमत्कार – Dhuni wale dada ji ke chamatkar
Dhuni wale dada ji ने अपने जीवन में अनेक चमत्कार किए हैं। जब वह गौरी शंकर महाराज की जमात में मां नर्मदा की परिक्रमा किया करते थे तब किसी भी साधु-संत को खाने की कमी नहीं हुई जब कभी भी कम हो जाता तो वह नर्मदा के पानी को मिला देते और वह भी का कार्यकर्ता और जब जमात में भी अधिक हो जाता तो वह वापस नर्मदा में मिला देते ।
धूनी वाले दादाजी जब भी किसी को गाली देते या डंडे से मार दे तो उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते । किसी रोगी को अगर वह मार देते तो वह निरोगी बन जाता ।
धूनी वाले दादाजी के चमत्कारों का जब कुछ संतो को विश्वाश नहीं था और उनके शिव अवतार पर भरोसा नहीं हुआ तब बनारस से कुछ संत उनकी परीक्षा लेने आए ।
धूनी वाले दादाजी अपने आश्रम में पहले ही शिष्यों से कहने लगे थे कि देखो आज मेरी परीक्षा का समय है। देखो आज मेरी परीक्षा का समय है जब ऋषि-मुनियों को यह बात पता चली तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया ।Dhuni wale dada ji ki jai
कुछ लोगों को जब पता चला की धूनी वाले दादाजी महादेव का अवतार है तो उनकी परीक्षा लेने के लिए वह मिठाई और फूल में जहर लेकर आए । जैसे ही वह आश्रम पहुंचे तो धूनीवाले दादाजी ने उनसे स्वयं वह मिठाई और फूल मांगा और सबके सामने खा गए । दादा जी को कुछ नहीं हुआ तब उन लोगों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने सबके सामने दादा जी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगी ।
दादा जी की समाधि / Dhuni wale dada ji ki samadhi
धुनी वाले दादाजी ने 3 दिसंबर 1930 में खंडवा जिले में ली उनकी समाधि के समीप आज भी अखंड धूनी 1930 से प्रज्वलित है । धूनी वाले दादा जी के समीप छोटे दादा जी की समाधि बनी हुई है खंडवा में उनका मंदिर 24 घंटे सबके लिए खुला रहता है ।
धूनी वाले दादाजी की आरती /Dhuni wale dada ji ki arti
धूनी वाले दादा जी की कोई आरती नहीं होती है वह नर्मदा के भक्त थे इसलिए उनके समीप मैया नर्मदा की भक्ति होती है धूनी वाले दादाजी के नाम का बस जाप होता है और उनके समीप अखंड ज्योत अथवा धोनी जलती रहती है।
धूनी वाले दादा जी के मंदिर में मानने वाले त्योहार
धूनी वाले दादाजी के खंडवा वाले मंदिर में जहां पर उन्होंने समाधि ली थी वहां पर श्री बड़े दादा जी की पुण्यतिथि, श्री छोटे दादा जी महाराज की बरसी, श्री राम जन्मोत्सव, श्री महाशिवरात्रि उत्सव, गुरु पूर्णिमा, कृष्ण जन्माष्टमी और दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है।
खंडवा के मंदिर में नर्मदा माता की परिक्रमा करने वाले भक्तों के लिए दिन में दो बार प्रसाद वितरण होता है साथ ही मंदिर 300 से अधिक कमरे भक्तों को रोकने के लिए बनाए गए हैं ,जिसमें कूलर एसी और तमाम सुख-सुविधा भक्तों को मुहैया कराई जाती है।
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