नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए बुद्धिमानी की कहानी लेकर आए है। हिंदी कहानियों की श्रृंखला आपके लिए लगातार जारी है। हम प्रतिदिन आपके लिए चुनकर कुछ हिंदी कहानियां लेकर आते है। आज की कहानी का मुख्य बिंदु है बुद्धिमान। आप ने बचपन में बहुत ऐसी कहानियां पढ़ी होंगी जो व्यक्ति की चालाकी और कुशलता पर आधारित होती है।
आज के समय में बुद्धिमान होना बहुत महत्वपूर्ण है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में समय-समय पर हमें अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग करना पड़ता है तभी हम जीवन में सफल हो सकते हैं। बुद्धिमानी का मतलब किसी को धोखा देना , अथवा छल करना नहीं है बल्कि अपनी बुद्धि से वह प्राप्त करना है जो कोई और प्राप्त नहीं कर सकता।
बुद्धिमानी की कहानी – मित्र
बहुत समय पहले की बात है दो बहुत अच्छे मित्र हुआ करते थे। एक का नाम राम और दूसरे का नाम श्याम था। दोनों बचपन से ही मित्र थे और हर काम मिलकर करते थे। किसी भी बात में दोनों की सहमति हर बार बन जाती थी।
एक बार दोनों ने एक साथ एक मंदिर जाने का निर्णय किया।
मंदिर बहुत प्राचीन था और जंगल के रास्ते से उस मंदिर में जाना पड़ता था। वह रास्ता बिल्कुल ही एकांत था। उस पर बहुत कम लोग थे जो जाया करते थे। मंदिर तक पहुंचना बहुत ही कठिन था ,पर दोनों दोस्तों ने यह ठान लिया था कि वह इस साल मंदिर जाकर भगवान के दर्शन जरूर करेंगे। बुद्धिमानी की कहानी
मंदिर को जाने से पहले गांव के लोगों ने उनको बहुत समझाया ,यह रास्ता बहुत कठिन और मुश्किल है इसलिए तुम लोग अपना ध्यान अवश्य रखना। मंदिर के रास्ते में बहुत तेज धूप, गर्मी , जंगली जानवरों और दलदल का खतरा रहता है।
जब हम बहुत ऊपर पहुंच जाते हैं तब वहां पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे एक दूसरे पर भी गुस्सा आने लगता है।
राम और श्याम अपने सफर के लिए निकल गए ,जैसे-जैसे वह रास्ता पार करते वैसे वैसे उनकी तकलीफ बढ़ती जाती। दोनों में थोड़ी बहुत बहस भी हो जाती जो आज तक नहीं हुई थी।
पर इस कठिनाई भरे सफर में ऐसा होने लगा ,देखते ही देखते राम और श्याम का झगड़ा बहुत बड़ गया। राम ने गुस्से में आकर श्याम को एक थप्पड़ मार दिया।
श्याम ने राम से कुछ नहीं कहा और एक लकड़ी उठाई और मिट्टी पर लिख दिया कि मेरे सबसे अच्छे मित्र ने मुझे आज थप्पड़ मारा। बहुत आगे जब चले तब रास्ते में खाने के लिए बहुत कम खाना बचा राम ने ज्यादा खाना खाया और शाम को थोड़ा कम खाना दिया। श्याम ने मिट्टी पर फिर लिखा आज मेरे मित्र ने कम खाना दिया। बुद्धिमानी की कहानी
थोड़ी देर आगे चलकर जब श्याम एक दलदल में फंस गया तो राम ने अपनी जान की बाजी लगाकर श्याम की मदद की और उसे दलदल से बाहर निकाला। इस मुश्किल काम में राम भी दलदल में फसते , फसते बचा गया।
श्याम ने इस बार पत्थर लिया और पेड़ पर लिखा आज मेरे सबसे अच्छे मित्र ने मेरी जान बचाई।
ऐसा करते देख राम ने श्याम से पूछा जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा तब तुमने मिट्टी से लिखा ,जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तब तुमने पत्थर से पेड़ पर लिखा ,ऐसा क्यों ?
श्याम ने बड़ी बुद्धिमत्ता से उत्तर दिया ? हमको जीवन में हमेशा ऐसा ही करना चाहिए जब कोई हमारा बुरा करे तो हमें उसको मिट्टी से लिखना चाहिए ताकि हम उसको आसानी से क्षमा कर सकें और यह अपने संबंध को मधुर बनाता है और जब कोई हमारी मदद करें तो हमें उसको अपने मन में बैठा लेना चाहिए की चाह कर भी हम उसको भूल ना पाए।
श्याम की इस बुद्धिमत्ता को सुनकर राम चकित हो गया उसको आज यह समझ में आया कि उसका मित्र कितना बुद्धिमान है। बुद्धिमानी की कहानी
शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बुराई को हमेशा भूल जाना चाहिए और अच्छाई को हमेशा याद रखना चाहिए। अगर कोई हमारे साथ अच्छा करता है तो हमें उसका एहसानमंद रहना चाहिए और अगर कोई गलत करता है तो उसको क्षमा कर देना चाहिए।
मंत्री – बुद्धिमानी की कहानी
बहुत पुरानी बात है एक राजा हुआ करते थे जिनका नाम दीप सिंह दीप सिंह जैसे ही सो कर उठे तो उनको बहुत तेज प्यास लगी थी पर उन्होंने देखा उनके आसपास कोई भी नौकर नहीं है उन्होंने जोर से आवाज लगाई और पानी लाने को कहा तभी उनके कमरे से एक कूड़ा साफ करने वाला नौकर जा रहा था उसने देखा राजा को प्यास लगी है तो वह दौड़कर राजा के लिए पानी ले आया राजा को यह बात बहुत बुरी लगी पर उनको प्यास लगी थी तो उन्होंने पानी पी लिया और उसको बाहर जाने का आदेश दिया।
जब राजा के नौकर आ गए तब राजा ने सब को डांटा और कहा तुम लोगों का मेरी सेवा में बिल्कुल भी ध्यान नहीं है मेरे पास पीने का पानी क्यों नहीं रखा गया।
कुछ ही देर में राजा का पेट में दर्द होने लगा और उनकी तबीयत बिगड़ गई ,राज्य के सबसे बड़े वैध को बुलाया गया और राजा का उपचार कराया गया। पर वैद्य को कुछ भी समझ में नहीं आया कि राजा क्यों बीमार हुए है और क्यों उनकी तबीयत बिगड़ गई है। वैध ने राजा को औषधि खिला दी और यह कहकर चले गए की आप किसी ज्योतिष को दिखाइए शायद आपको कोई और समस्या है।बुद्धिमानी की कहानी
राजा के आदेश पर बहुत जल्द ज्योतिष को बुलाया गया ,ज्योतिष ने आकर राजा से कहा -आप पर किसी मनहूस का साया पड़ गया है इसलिए आपकी तबीयत बिगड़ गई है। राजा को तुरंत याद आया कि एक कचरा वाले नौकर ने आज पानी दिया था। राजा ने तुरंत उस कचरे वाले को मृत्युदंड का आदेश दे दिया।
उस राजा के पास एक बहुत बुद्धिमान मंत्री था। जैसे ही मंत्री के पास यह आदेश पहुंचा तो मंत्री को बहुत दुख हुआ और उन्होंने राजा को सबक सिखाने का फैसला किया। आप बुद्धिमानी की कहानी पड रहे है ।
मंत्री राजा के पास पहुंचा और कहने लगा अगर मैं आपको इससे बड़ा मनहूस दिखा दूं तो क्या आप उस नौकर की सजा माफ कर दोगे ?
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राजा ने अकड़ में कहा – हां अगर तुम मुझे उससे बड़ा मनहूस दिखा दोगे तो मैं पक्का उसकी सजा माफ कर दूंगा।
मंत्री ने एक बड़ा सा शीशा उठाया और राजा के सामने रख दिया और कहा देखो महाराज इसमें सबसे बड़ा मनहूस है।
यह बात सुनकर राजा को गुस्सा आ गया और चिल्ला के बोले – तुम्हारा क्या मतलब मैं सबसे बड़ा मनहूस हूं ?
मंत्री विनम्रता से बोला – हां महाराज आप खुद देखिए आपने उस नौकर के हाथ से पानी पिया और आपकी तबीयत खराब हो गई और उस नौकर ने आप को पानी दीया और उसके सामने उसकी मौत आ गई। भला आप ही बताइए तबीयत खराब होना मनहूसियत है या मौत आना।
राजा को पल भर में अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने उस कैदी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया और अपने बुद्धिमान और साहसी मंत्री की बहुत तारीफ की।
शिक्षा – किसी भी घटना के हर पहलू को समझने से पहले हमें कोई बड़ा निर्णय नहीं लेना चाहिए किसी की बातों में आकर हमें कभी फैसला नहीं करना चाहिए जैसा कि राजा ने किया और उनको उनकी गलती का एहसास हो गया।
आपको बुद्धिमानी की कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। बुद्धिमानी की कहानी में आपने पढ़ा है कि दोस्त ने बुद्धिमानी से अपने दोस्त का हिर्दय परिवर्तन किया और एक मंत्री ने अपनी बुद्धिमानी से एक निर्दोष की जान बचाई। बुद्धिमानी की कहानी पढ़ने के लिए आप का धन्यवाद।
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