वाह भाई वाह रजिस्ट्रेशन – शो में जाने का तरीका

दोस्तों अगर आप भी कवि है और कविता लिखते है तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण होने वाली है।वाह भाई वाह रजिस्ट्रेशन की पूरी जानकारी को आप को नीचे मिलेगी। जैसा कि आप सब जानते हैं शैलेश लोढ़ा का शो वाह भाई वाह आजकल बहुत चल रहा है। इस शो में नए-नए कवि आकर अपनी प्रस्तुतियां देते रहते है। यह एक हास्य कवि सम्मलेन  है जिसमे कविता से लोगों का मनोरंजन होता है। वैसे देखा जाए तो इस शो में आने वाले कवि मुख्यता नए ही हैं ,बहुत कम ऐसे कवि  हैं जिनको आपने पहले टीवी पर देखा होगा।  

वाह भाई वाह सो रात 9:00 बजे से 10:00 बजे तक आता है यह एकमात्र ऐसा तो है जो खो जाता है कुछ ही नहीं है इस शो के डेढ़ सौ से ज्यादा एपिसोड पूरे हो गए हैं।  

वाह भाई वाह रजिस्ट्रेशन / Wah Bhai Wah show registration

दोस्तों वाह भाई वाह सो का ऑफिशियल कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। इस शो में शैलेश लोढ़ा जी अपने अनुभव के हिसाब से अलग-अलग मंच से कभी का चुनाव करते हैं। जैसा आप सब जानते हैं शैलेश लोढ़ा भी एक बहुत पुराने कवि हैं और वह कई शो में जा चुके हैं और कवियों से उनका जुड़ाव और पहचान किसी की मोहताज नहीं  है। 

वाह भाई वाह कवि सम्मेलन

देश के हजारों कवियों को शैलेश लोढ़ा पर्सनली जानते हैं और उनके बीच में रहकर उनकी प्रस्तुतियों सुनते हैं। शैलेश लोढ़ा जी  देश के साथ-साथ विदेश में भी अनेकों मंच पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। देश का ऐसा कोई कभी नहीं जिसको जो शैलेश लोढ़ा को ना  जानता हो। उनका  कोई टीवी पर एक अलग ही अंदाज है। 

 वाह भाई वाह में कैसे जाएं  / Wah Bhai Wah Show me kaise jaye

दोस्तों  वाह भाई वाह शो में जाने की प्रक्रिया बहुत ही आसान है। इस शो में अगर आप शैलेश लोढ़ा जी से परिचित हैं या उनको आपकी भेजी हुई कविता पसंद आती है तो उनकी टीम आप आपको स्वयं संपर्क करेगी। 

अपनी कविता शैलेश लोढ़ा तक कैसे भेजे ?

शैलेश लोढ़ा तक अपनी कविता पहुंचाने के लिए आपको अपनी रचना को उनके मैनेजर के नंबर पर भेजना है। आप अपनी रचना वीडियो अथवा ऑडियो में शैलेश लोढ़ा के मैनेजर तक पहुंचा सकते हैं। इन कविताओं को उनकी टीम और वह स्वयं सुनकर अथवा देखकर पसंद करते हैं और जिसकी कविता चुनी जाती है उनकी टीम उस कवि से स्वयं संपर्क करती है और सो  शो में आने का न्योता देती है। 

कविता कैसी भेजें की आप को तुरंत कॉल आ जाए

दोस्तों एक हास्य कवि टीवी शो है। जिसमें हास्य कविता को विशेष महत्व दिया गया है। इस शो में आने वाले कवि  सबसे ज्यादा हास्य कविता ही सुनाते हैं इसलिए आप अपनी सर्वश्रेष्ठ हास्य कविता ही भेजे। 

क्योंकि आपकी कविता शायद एक बार ही पढ़ी जाए इसलिए आप कोई भी गलती उसमें ना करें अगर आप से वीडियो बनाने में कोई गलती होती है तो उसको फिर से सूट करो फिर उसके बाद भेजो। 

दोस्तों आप गलती से भी कोई ऐसी मिस्टेक ना करें जिससे अच्छी कविता और अच्छे कवि होने के बाद कि आपका सिलेक्शन ना हो आप वीडियो अथवा ऑडियो बहुत क्लियर आवाज में और अच्छी क्वालिटी में बनाए। 

दोस्तों शैलेश लोढ़ा जी की टीम इस क्षेत्र में बहुत पहले से काम कर रही इसलिए आप गलती से भी किसी और की कविता को कॉपी कर कर ना भेजें। शैलेश लोढ़ा का भी इस क्षेत्र में बहुत लंबा एक्सपीरियंस है इसलिए आप भूल कर भी ऐसी गलती ना करें। 

शैलेश लोढ़ा के मैनेजर का नंबर

दोस्तों शैलेश लोढ़ा के मैनेजर का नंबर आप को सोशल मीडिया से प्राप्त हो सकता है ।  हमारे पास उनका नंबर शेयर करने की  परमिशन नहीं है।  आप उनका नंबर गूगल पर सर्च कर सकते हैं। धन्यवाद 

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33 Comments

  1. Devinder singhsays:

    Waah bhai waah me कैसे आएं किस से contact करें कोई no. या email बताएं. कविता या शायरी कैसे भेजें कोई रास्ता बताएं !

    1. waah bhai waah me जाने के लिए आप को Shailesh Lodha के मैंनेजर से कांटेक्ट करना होगा।
      unki email id app ko google me mil jayegi.

    2. SUDHIR KUMAR NIGAMsays:

      I LIVE IN KANPUR UP. I AM ACCOUNTS MANAGER IN A REPUTED UNISED COMPANY. IT IS MY HOBBY TO WRITE STORIES, SONGS, POEMS WITH COMMEDY. I WANT TO JOIN IN WAH BHAI WAH SHOW. MY WHATSAPP NO. 6306021993. MY DOB 25/04/1967.

  2. ज्वलंत घाव में यदि
    अनन्त पर जो ध्यान दे
    अभूतपूर्व मनुज सम
    जो अंत का प्रमाण दे
    अरुण से लेके अस्त तक
    जो रत रहे स्वकर्म में
    यही लिखित है गीता में
    यही कथित है धर्म में ।
    विचारणीय बिन्दु पर
    विचार करके देख लें
    अनेक लक्ष्य न रखें
    उद्देश्य कोई एक लें
    कर्मों से भाल उच्च हो
    ना गाड़ें दृष्टि शर्म में
    यही लिखित है गीता में
    यही कथित है धर्म में ।
    चित्त ना हो उग्र और
    स्वयं का आंकलन करें
    बुराइयाँ न मन छुए
    गुणों का संकलन करें
    न हों यूँ क्रोधावेश दग्ध
    कि वेदना हो चर्म में
    यही लिखित है गीता में
    यही कथित है धर्म में ।
    प्रवीणता हो कार्य में
    सम्भव अभ्यास से सदा
    शिकस्त पे विजय मिले
    अडिग विश्वास से सदा
    ना आवरण में हो प्रविष्ट
    खो जायें सिर्फ मर्म में
    यही लिखित है गीता में
    यही कथित है धर्म में |
    आयुष शुक्ला “भईया जी”

  3. मैने गीता को हिन्दी दोहा व चौपाई मे रचना की है। उसको आपके चैनल पर वाह क्या बात है शो मे पढना चाहता हू।
    डाॅ शशिकान्त तिवारी

  4. विवेकानंद श्रीवास्तवsays:

    मैंने हास्य नहीं लिखा किन्तु छन्द एवं गीत लिखे हैं। मैं आपके शो वाह क्या बात है पर पढ़ने का सुअवसर चाहता हूं।

  5. जितेंद्र संन्यासीsays:

    जीवन में अब सार कहां हैं,
    लड़ने को तैयार कहां हैं..
    एक भरोसा जो खुद पर था,
    लेकिन संग हथियार कहां हैं..
    टूटे सपने भी सारे पर,
    जीत सुनिश्चित,हार कहां हैं..
    धन्य हुआ पाकर आमंत्रण,
    लेकिन अब स्वीकार कहां हैं..
    न चिंता न फ्रिक किसी का,
    बचपन का किरदार कहां हैं..
    डूब गया सब यौवन आया,
    बच्चों का सरदार कहां हैं..
    नौटंकी बस भरी इश्क में,
    वो कॉलेज का प्यार कहां है..
    बात प्रेम की घर तक पहुंची,
    सुनने को फटकार कहां हैं..
    हम जो खा कर बड़े हुए थे,
    अब बापू की मार कहां हैं..
    ✍️ जितेंद्र संन्यासी

    1. लक्ष्मी कांत "कमल नयन" सुल्तानपुर उत्तर प्रदेशsays:

      तुम ही मेरी धड़कन हो ये,मन ही मन मै मान चुका हूँ।
      तेरे दिल के राज सभी मै,सच मानो सब जान चुका हूँ।।
      पागल दिल ये ढूँढ़ रहा है,अब”कमलनयन”उस पगली को,
      जीवन भर बस साथ निभाऊँ,यारो अब मै ठान चुका हूँ।।

      लक्ष्मीकांत “कमलनयन”

  6. Gurjant Singhsays:

    नमस्कार मैं एक ब्लाइंड व्यक्ति हूं मेरा सपना है कि मैं वाह भाई वाह में अपनी कविता पेश करूं लेकिन अभी संघर्ष की राहों पर चलते हुए मुझे कुछ ही वक्त हुआ है
    हां मैंने कभी हाथ से नहीं लिखा लेकिन दुनिया की सच्चाई लिखने की कोशिश करता हूं

    1. Main 12th class me padhta hu .Hindi Kavita likhta likhta hu . Aap ke show me aana chahunga .apna huner dikhaunga . Pleas moka de

  7. लक्ष्मी कांत "कमल नयन" सुल्तानपुर उत्तर प्रदेशsays:

    तुम ही मेरी धड़कन हो ये,मन ही मन मै मान चुका हूँ।
    तेरे दिल के राज सभी मै,सच मानो सब जान चुका हूँ।।
    पागल दिल ये ढूँढ़ रहा है,अब”कमलनयन”उस पगली को,
    जीवन भर बस साथ निभाऊँ,यारो अब मै ठान चुका हूँ।।

    लक्ष्मीकांत “कमलनयन”

  8. Kalpana Barapatresays:

    मै एक शिक्षिका के साथ एक लेखिका कवियत्री हु बच्चो को पाठशाला मे कविता सुनाती हु मैने कविता की एक किताब प्रकाशित की है उसमे से कुछ कविता है वाह भाई वाह के संमेलन में सुनाना चाहती हु कृपा करके आप मुझे मोका देंगे ऐसी आशाकरती हु

    1. आप की कविता बहुत अच्छी है ,अगर आप अपनी कविताएं हमारी वेबसाइट पर लिखना चाहती है तो आप हमें मेल कर सकती है और वाह भाई वाह में जाने के लिए आप को शैलेश लोढ़ा के मैनेजर से बात करनी होगी।

  9. Kalpana Barapatresays:

    बचपन गहारी नींद मे मैने एक सपना देखा मेरा बचपन कितना अच्छा था नन्ही नन्ही तितली को निहारते रहती उनके रंगो से अपने जीवन मे रंग भरती गुडिया गुडिया के साथ मेरा जीवन था ना कोई मेरे दोस्ती ना कोई मेरे दुश्मन ते सभी मेरे अपने थे अपनी दुनिया मे खोई रहती उनके रंगो से अपने जीवन मे रंग भरती लेकिन समय परिवर्तन के साथ हु आ मेरे जीवन मे परिवर्तन आज अनेक चिंता हो से मेरा जीवन कोई मेरा बचपन लोटा पयेगा मेरा सुनहरा पल मेरे जीवन मे आयेगा

  10. ( 1 ) मैं पटाता रहा पर ओ पटी ही नहीं
    ( 2 ) सोचा की इश्क कर लूं पर मेरे दिल को दिल से दिल की
    ( 3 ) मेरे इश्क में कमी नहीं थी ओ धोखे बाज निकम्मी नहीं थी

    शायरी

    एक नए अंदाज़ में

    समझने की कोशिश
    पर समझ न आए
    जब तक पूरी सुनी न जाए

  11. Kalpana Barapatresays:

    शैलेश लोंढे के मॅनेजर हमारा फोन नही उठा रहे है

  12. Sanjay B Daiyasays:

    दर ब दर भटकता रहा मैं
    मेरा मुकदर था
    मिलना हमारा तय था
    बस वक़्त ये मुक़र्रर था

    I want to perform on the great platform of WAH BHAI WAH

  13. Sanjay B Daiyasays:

    यूह भी कई गम थे उठाने के लिए
    क्या एक तू ही मिली थी दिल लगाने के लिए
    माना करना था तुजे अपना जहाँ रोशन
    क्या एक मेरा ही आशियाँ मिला था जलाने के लिए

  14. Sanjay B Daiyasays:

    कुछ और नही वो इश्क़ था

    बाद लाख कोशिशों के भी हम मिलना सके
    सीने में दोनों के धड़कता था एक ही दिल
    दिल से कभी जुदा हो न सके
    ज़िन्दगी के सफर में हम हमसफर नही न सही
    हमकदम तो थे।
    चले जितने भी कदम थाम कर हाथ एक दूजे का

    कुछ और नही वो इश्क़ था

    तक़दीर ने इतफ़ाक़ से मिलाया हमें
    फिर तक़दीर ने ही कर दिया जुदा हमे
    इस मिलने और बिछड़ने के दरमियान
    भुला कर दुनिया के रश्मो रिवाज़ों को
    संग बिताया जो वक़्त हमने
    वो इश्क़ था
    इस मतलबी दुनिया मे बेमतलब से जो किया था हमने

    कुछ और नही वो इश्क़ था

    हालातों से अपने लड़ना पाए हम
    दर्द दिल का किसीको बता न पाए हम
    बिछड़े जिस दिन हम खूब रोया था ये आसमां भी
    भीगे उस बारिश में हम भी बेइन्तहा
    जिसम ही नही हमारी रूह तक को जो भिगो गया
    वो इश्क़ था
    छुपा रखे थे अस्क हमने निगाहों में अपनी
    संग बारिश के बनके पानी जो बह गया

    कुछ और नही वो इश्क़ था

    आज भी याद है हर पल हर लमहा
    जो संग बिताया हमने
    करता हूं आंखे बंद तो चेहरा उसीका नज़र आता है
    खुश्बू उसके बदन की
    आज भी मेरे सांसो को महका जाती है
    होता है ज़िक्र भी उनका तो
    धड़कने दिप की तेज हो जाती है
    बेशक वो इश्क़ था
    लेकिन दिल के किसी कोने में जो आज भी जिंदा है

    कुछ और नही कुछ और नही ये इश्क़ है ये इश्क़ है।।

  15. Kauushlendra bahadursays:

    Mujhe show pe apni Kavita bhejni hai sir
    Char pankti ish pirkaar hain
    Bfa ka naam lekar bebfai Kar daali
    Humne etwaar kiya ushne dkaiti daali
    Ek se nhi do se nhi teen se nhi char se nhi
    Das Das se mohubbat Kar dali
    Das Das se mohubbat Kar dali

  16. लोगों से कम मिलना और अकेले रहना
    ये आदत बहुत पुरानी है मेरी।
    यही मेरी हकीकत है, और यही कहानी है मेरी।
    और जरा सोच समझकर दुश्मनी करना तुम मुझसे।
    क्योंकि तुमसे दोस्ती बहुत पुरानी है मेरी।

  17. नदी में डूब सकता हूं किनारे पर मैं जाकर के तेरी आंखों की झीलों से तेरी आंखों की झीलों से तैर कर पार जाना है तैरकर पार जाना है तेरी आंखों में मर जाऊं ईसारा तो जर कर दे

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