एक शख्स है जो मेरे सपने सजा देता है।
जिंदा रहने की मेरी उम्मीद जगा देता है।
कौन है वह मेरा नहीं जानता हूं मगर ।
जब भी मिलता है मुझे दिल से लगा लेता है ।
बंद आंखों से मैंने हर एक मंजर देखा है ।
प्यासा रहा मैं बहुत पर मैंने समुंदर देखा है ।
मत दिखाओ मुझे तमाशे जमाने के ।
मैंने बरसात में भी जंगल , बंजर देखा है ।
वह अपने अंदाज में मुझसे मोहब्बत चाहती है।
मेरे सपनों में भी अपनी मनमानी चाहती है ।
मेरी हर सांस पर वह हक अपना चाहती है ।
वह तो बस मोहब्बत में मेरी जवानी चाहती है ।
रात भर रोती रही मेरी आंखें।
तुम को याद करती रही मेरी आंखें।
अब मेरे आंसुओं की क्या कीमत लगाओगे ।
तुम तो कहते थे मोती से सुंदर है मेरी आंखें ।
तुम बस मेरे सामने आया करो ।
मुझे प्यार ना करो पर मुस्कुराया करो ।
मत रहो मेरे साथ तुम मगर ये दोस्त ।
इस तरह शहर छोड़ मत जाया करो ।
मेरे पास तुम हो ,मेरे साथ तुम हो ।
यहां सब कुछ बस नाम का ही है ।
मेरे दुखों, में तुम मेरी खुशी में तुम ।
मेरी हर एक सांस में तुम बस तुम हो ।
पहली बार जब देखा था तुमको ।
हुआ नहीं था यकीन हमको ।
इतना सुंदर भी कोई होता है।
बस यही सवाल चल रहा था मन में।
पहली बार जब देखा था तुमको ।