स्वामी विवेकानंद पर निबंध – 100,250,500 शब्दो में ।

स्वामी विवेकानंद पर निबंध
स्वामी विवेकानंद पर निबंध / स्वामी विवेकानंद पर निबंध 500 शब्द

स्वामी विवेकानंद पर निबंध – 500शब्दो में

स्वामी विवेकानंद एक महान समाज सुधारक और दार्शनिक थे । उन्होंने सनातन धर्म का प्रचार पूरी दुनियाँ में किया और दुनिया का ध्यान भारत की और केंद्रित किया ।

स्वामी विवेकानंद पर निबंध (500) शब्दों मैं

प्रस्तावना – स्वामी विवेकानंद भारत के इतिहास में जन्में महान पुरषों में से एक है।उन्होंने संतान धर्म का प्रचार पूरी दुनिया में किया और भारत में समाज सुधार और युवाओं को प्रेरित करने का कार्य किया ।

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय स्वामी विवेकानंद पर निबंध

स्वामी विवेकानंद का नाम नरेंद्र दत्ता उनका जन्म 12 जनवरी 1863 मैं कोलकाता में हुआ । उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था ,जो हाई कोर्ट के एक वकील थे । उनकी मां का नाम भुवनेश्वरी देवी था।  भुवनेश्वरी देवी का पूजा पाठ और वेद पुराणों में विशेष रूचि थी । स्वामी विवेकानंद 25 वर्ष की आयु में सन्यास ग्रहण कर लिया था । उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस थे  ।

स्वामी विवेकानंद पढ़ने में बहुत होनहार थे । वह एक बार में ही पूरी पुस्तक को याद कर लेते थे । विवेकानंद को वेद ,पुराण ,गीता, ग्रंथ याद थे ।स्वामी विवेकानंद बड़ी-बड़ी पुस्तकों को एक बार में पढ़कर याद कर लेते थे ।

स्वामी विवेकानंद पर निबंध 500 शब्द
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स्वामी विवेकानंद का योगदान -स्वामी विवेकानंद पर निबंध 500 शब्द

बचपन में पिता के गुजर जाने के बाद नरेन्द ( स्वामी विवेकानंद ) पर घर की सारी ज़िमेदारी आ गई । विपरीत और विषम परिस्तिथियों मैं भी नरेंद्र सेवा भावी और दूसरो की मदद को तत्पर रहते थे ।रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में रहकर उनकों ज्ञान प्राप्त हुआ  ।

स्वामी विवेकानंद ने 25 वर्ष की आयु में भगवा धारण करके पूरे भारतवर्ष की यात्रा की और युवाओं को जागृत करने का काम किया उन्होंने कर्म योग राजनीति शिक्षा धर्म और सनातन का पाठ पूरे भारतवर्ष को पढ़ाया ।भारत के साथ-साथ वह जर्मनी चीन अमेरिका और अन्य देशों में भ्रमण करके लोगों को जागृत करते रहे।बहुत कम आयु में ही वह इतना सब कर गए जोकि किसी दूसरे का करना नामुमकिन है।

 विवेकानंद ने शिक्षा के प्रति अपने विचार खुलकर सबके सामने रखें और लोगों को शिक्षा का महत्व समझाया उस समय अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली का उन्होंने विरोध किया। उनका मानना था शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिसमें बच्चों का शारीरिक बौद्धिक और अध्यात्मिक ज्ञान बड़े बच्चे पढ़ लिखकर नौकर ना बने बल्कि आत्मनिर्भर बने ।

बच्चों में धर्म का ज्ञान हो साथ साथ बच्चे तंदुरुस्त हो उन्होंने लड़कों के साथ लड़कियों की शिक्षा पर भी जोर दिया उनकी कुछ बातों का विरोध  भी होता था ।स्वामी विवेकानंद का शिकागों वक्तव्य – विश्व धर्म सभा शिकागो मैं 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद द्वारा दी हुई स्पीच आज तक की सबसे प्रभावशाली स्पीच मानी जाती है।

शिकागो में पहली बार किसी व्यक्ति ने सभी को एक साथ जोड़ा था। ब्रदर्स एंड सिस्टर्स उद्बोधन के साथ विवेकानंद ने धर्म सभा का मन मोह लिया था ।सभी लोगों ने कुछ मिनटों तक बिना रुके तालियां बजाई । स्वामी जी कि इस स्पीच ने विश्व का रवैया भारत के प्रति बदल दिया था इससे पहले भारत को हीनता के भाव से देखा जाता था ।

अमेरिकी लोग चाहते थे की इस सभा में स्वामी विवेकानंद को बोलनेना दिया जाए पर उनकी इस स्पीच के बाद अमेरिका में उनका भव्य स्वागत हुआ ।उनको सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे । स्वामी विवेकानंद ने  आमेरीकन लोगों का रवैया  भारतीयों के लिए पूरी तरह से बदल दिया था ।

उपसंहार

स्वामी विवेकानंद ने विश्व भर को सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का पाठ पढ़ाया । स्वामी विवेकानंद एक ऐसे महान  व्यक्ति हुए जो आजतक लोगों  के प्रेरणा श्चोत बने हुए है। स्वामी विवेकानंद ने अपना सम्पूर्ण जीवन देश और लोगो की भलाई में लगा दिआ।

स्वामी विवेकानंद पर निबंध
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स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

स्वामी विवेकानंद का जन्म १२ जनवरी 1863 में कोलकत्ता शहर में एक हाईकोर्ट के वकील के यहाँ हुआ। उनके पिता का नाम विश्वनाथ और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था।  उनके गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था।

स्वामी विवेकानंद का योगदान स्वामी विवेकानंद निबंध

स्वामी विवेकानंद भारत के एक महान दार्शिनक थे। उन्होने सनातन धर्म का प्रचार पूरे विश्व में किया। बचपन से ही सामजिक और धार्मिक कार्यों में स्वामी विवेकानंद की विशेष रूचि थी। पुरे विश्व में भारत के नजरिये को बदलने में स्वामी विवेकानंद ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन किया है। पूरे भारत में भर्मण कर स्वामी ने शिक्षा ,वेद,पुराण ,आधात्यमिक और लौकिक ज्ञान से समाज सुधार का कार्य किया। उन्होने  लोगों  को शिक्षा ,योग , एकाग्रता और राष्ट प्रेम का संदेश दिया।स्वामी विवेकानंद निबंध

स्वामी विवेकानंद के शिकागों भाषण ने विश्व में भारत के नजरिये को बदल दिया। भारत के सनातन धर्म और संस्कृति की चर्चा पूरे विश्व में होने लगी। स्वामी विवेकानंद का भाषण इतिहास का सबसे लोकप्रिय भाषण है।  स्वामी विवेकानंद ने राम कृष्ण परमहंस नाम की संस्था की स्थापना थी।

निष्कर्ष – स्वामी विवेकानंद निबंध

स्वामी विवेकानंद जैसे लोग पृथ्वी पर कई वर्षो में एक बार ही जन्म लेते है। स्वामी विवेकानंद के बताए हुए मार्ग से आज भी युवा प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफल बना सकते है। स्वामी विवेकानंद जी मार्ग से भारत विश्वगुरु बन सकता है। शिक्षा पर उनके विचारों से आज तक विद्यार्थिओं और शिकक्षों को मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

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2 thoughts on “स्वामी विवेकानंद पर निबंध – 100,250,500 शब्दो में ।”

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